बुंदेलखंड के 6 जिलों को बड़ी सौगात, नए साल में शुरू होंगे मिलेट्स प्रोसेसिंग-पैकेजिंग प्लांट

सरकार ने हर केंद्र के लिए 95 लाख रुपये की सहायता दी है, ताकि स्थानीय किसानों को प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की पूरी सुविधा एक ही जगह मिल सके. इन प्लांटों के शुरू होने के बाद किसान अब सिर्फ कच्चा अनाज बेचने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वैल्यू एडिशन कर ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे.

नई दिल्ली | Published: 8 Dec, 2025 | 07:35 AM

Uttar Pradesh News: बुंदेलखंड में खेती की बात आते ही सबसे पहले सूखा, कठिन परिस्थितिया और सीमित उपज मन में आती है. लेकिन अब यह तस्वीर बदलने वाली है. उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम के तहत इस क्षेत्र के किसानों को एक बड़ी सौगात दी है. झांसी से लेकर हमीरपुर तक अब मिलेट्स प्रोसेसिंग प्लांट तैयार हो चुके हैं, जो नए साल से पूरी तरह शुरू हो जाएंगे. इससे न सिर्फ मोटे अनाज की खेती को नई पहचान मिलेगी, बल्कि किसानों की आय भी कई गुना बढ़ने की उम्मीद है.

बुंदेलखंड में मिलेट्स खेती को मिलेगी नई जान

बुंदेलखंड के छह जिलों झांसी, ललितपुर, बांदा, महोबा, जालौन और हमीरपुर में कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से श्री अन्न (मिलेट्स) आधारित आधुनिक प्रसंस्करण, पैकेजिंग और विपणन केंद्र बनाए गए हैं. सरकार ने हर केंद्र के लिए 95 लाख रुपये की सहायता दी है, ताकि स्थानीय किसानों को प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की पूरी सुविधा एक ही जगह मिल सके.

इन प्लांटों के शुरू होने के बाद किसान अब सिर्फ कच्चा अनाज बेचने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वैल्यू एडिशन कर ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे. यानी सिर्फ बाजरा या ज्वार बेचने की जगह किसान फुल्का आटा, मिलेट कुकीज, नाश्ता सामग्री और कई तैयार उत्पाद बाजार में भेज सकेंगे.

कैसे काम करेंगे ये प्रोसेसिंग प्लांट

इन आधुनिक केंद्रों में मोटे अनाज की वैज्ञानिक तरीके से प्रोसेसिंग होगी. इसमें शामिल हैं:

प्रसंस्करण के बाद पैक किए गए उत्पाद सीधे बाजार, सुपरमार्केट, होटलों और संस्थानों को भेजे जा सकेंगे. इससे किसानों को उनकी फसल का उचित दाम और स्थिर बाजार मिलेगा. सरकार का लक्ष्य है कि बुंदेलखंड के किसान अपने उत्पाद को ब्रांडेड स्वरूप में बेच सकें, जिससे कम लागत में भी अच्छी कमाई हो सके.

बुंदेलखंड की मिट्टी मिलेट्स के लिए सबसे उपयुक्त

यह क्षेत्र लंबे समय से सूखे और पानी की कमी का सामना करता रहा है, लेकिन यही इसकी सबसे बड़ी ताकत भी है. बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो, कुटकी जैसी मिलेट फसलें कम पानी में अच्छी पैदावार देती हैं, और बुंदेलखंड की जलवायु इनके लिए बेहद अनुकूल है.

नए प्लांटों के साथ किसानों को उन्नत गुणवत्ता के बीज, वैज्ञानिक खेती तकनीक, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता, मोबाइल ऐप और बाजार संपर्क भी उपलब्ध कराया जाएगा.

रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे

मिलेट्स प्रोसेसिंग प्लांट सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि रोजगार के नए रास्ते भी खोलेंगे. प्लांटों में मशीन संचालन, पैकेजिंग, मार्केटिंग, परिवहन, गुणवत्ता जांच, जैसे कामों के लिए स्थानीय युवाओं और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलेगा.

किसानों की आय में आएगा बड़ा बदलाव

मिलेट्स की बढ़ती मांग चाहे शहरी बाजार हो या अंतरराष्ट्रीय किसानों के लिए नए अवसर ला रही है. मिलेट्स को सुपरफूड का दर्जा मिला है, जिससे उद्योगों, होटलों और एक्सपोर्ट मार्केट में इसकी खपत तेजी से बढ़ रही है.

सरकार का मानना है कि इन प्रोसेसिंग प्लांटों के शुरू होने के बाद:

बुंदेलखंड के लिए गेम चेंजर साबित होगा यह प्रोजेक्ट

सूखा प्रभावित बुंदेलखंड में खेती के विकास को लेकर वर्षों से चर्चा होती रही है, लेकिन मिलेट्स प्रोसेसिंग केंद्र इस दिशा में पहला ठोस और व्यवहारिक कदम है. इससे न सिर्फ किसानों को बाजार मिलेगा, बल्कि खेती को टिकाऊ, सुरक्षित और ज्यादा लाभकारी बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा.

नए साल में इन प्लांटों के शुरू होते ही बुंदेलखंड के हजारों किसानों की जिंदगी नए अध्याय में प्रवेश करेगी जहां सूखे की चिंता नहीं, बल्कि श्री अन्न की चमकदार संभावनाए होंगी.

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