क्या खारे पानी में उग सकती हैं सब्जियां? जानिए सच

खारे पानी में सब्जियां उगाना आज भले ही एक नई बात लगे, लेकिन आने वाले समय में यह खेती का सामान्य तरीका बन सकता है. जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और बढ़ती जनसंख्या के बीच यह समाधान खेती को बचाने और आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है.

नई दिल्ली | Published: 13 May, 2025 | 03:14 PM

हम सभी ने यही सुना है कि सब्जियां उगाने के लिए साफ और मीठा पानी चाहिए होता है. लेकिन बदलते समय और बढ़ती जरूरतों ने अब इस सोच को चुनौती दी है. क्या आप जानते हैं कि कुछ खास तरह की सब्जियां खारे पानी में भी अच्छी तरह उग सकती हैं? यह न केवल वैज्ञानिक रूप से संभव है, बल्कि कुछ जगहों पर इसका सफल प्रयोग भी हो चुका है. खेती के इस नए रास्ते ने उन किसानों के लिए उम्मीद की किरण जगाई है, जिनकी जमीन में नमक की मात्रा ज्यादा है या जिन्हें ताजे पानी की कमी का सामना करना पड़ता है.

वे सब्जियां जो नमक को सहन करती हैं

ऐसे पौधे जिन्हें नमक भरी जमीन या पानी में उगाया जा सकता है, उन्हें “हैलोफाइट्स” कहा जाता है. ये सब्जियां समय के साथ इस तरह ढल गई हैं कि इन्हें ज्यादा नमक वाली मिट्टी या पानी नुकसान नहीं पहुंचाता. समुद्री इलाकों में इनका प्राकृतिक रूप से उगना आम बात है.

कुछ हैलोफाइट सब्जियां जैसे सी ऐस्पैरेगस, सैंफायर और सैलिकोर्निया न केवल स्वाद में अलग होती हैं बल्कि पोषण में भी भरपूर होती हैं. इनका स्वाद थोड़ा खट्टा-नमकीन होता है, जो किसी भी खाने को अलग पहचान दे सकता है.

जहां मीठा पानी न हो, वहां भी हो सकती है खेती

कई जगहों पर किसान ऐसे इलाकों में खेती करने को मजबूर हैं जहां मिट्टी में नमक की मात्रा बहुत ज्यादा है. वहां पारंपरिक फसलें टिक नहीं पातीं और जमीन बंजर बन जाती है. लेकिन खारे पानी में उगने वाली सब्जियां इन परिस्थितियों में भी पनप सकती हैं. यह तरीका न केवल जमीन को उपयोगी बनाता है, बल्कि किसानों को नया विकल्प भी देता है.

इस तरह की खेती पानी की बचत में भी मदद करती है क्योंकि खारे पानी का उपयोग किया जा सकता है और ताजे पानी पर निर्भरता कम हो जाती है. इस बदलाव से पर्यावरण पर भी अच्छा असर पड़ता है और कृषि प्रणाली ज्यादा मजबूत बनती है.

ध्यान देने वाली बातें

हालांकि खारे पानी में खेती करना एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसमें थोड़ी सावधानी भी जरूरी है. सबसे पहले तो सही पौधों का चुनाव जरूरी है, जो नमक को सहन कर सकें. इसके अलावा खेत की मिट्टी की निकासी अच्छी होनी चाहिए, ताकि पानी जमा न हो और पौधों की जड़ें खराब न हों.

पानी या मिट्टी में नमक की मात्रा समय-समय पर जांचते रहना चाहिए ताकि जरूरत के अनुसार बदलाव किए जा सकें. अगर सावधानी से यह काम किया जाए, तो यह खेती लंबे समय तक टिकाऊ और फायदेमंद साबित हो सकती है.

भविष्य की खेती की ओर एक कदम

खारे पानी में सब्जियां उगाना आज भले ही एक नई बात लगे, लेकिन आने वाले समय में यह खेती का सामान्य तरीका बन सकता है. जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और बढ़ती जनसंख्या के बीच यह समाधान खेती को बचाने और आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है.