5 साल में तीन गुना निर्यात का टारगेट, खेती के दम पर फूड एक्सपोर्ट हब बनेगा उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक राज्य के कृषि और खाद्य निर्यात को तीन गुना बढ़ाया जाए. इसके लिए सरकार प्राकृतिक खेती, गुणवत्ता सुधार और वैश्विक बाजार से जोड़ने जैसे कदम उठा रही है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 4 May, 2025 | 10:46 AM

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2030 तक प्रदेश के निर्यात को तीन गुना करने का लक्ष्य रखा है. सरकार को भरोसा है कि यह मुमकिन है. क्योंकि प्रदेश की ताकत है उसकी खेती और बागवानी. वहीं कोविड के बाद से देश के कृषि और खाद्य निर्यात में लगातार इजाफा हुआ है. 2023-2024 की तुलना में 2024-2025 में वृद्धि की यह दर करीब 10 फीसदी रही. सरकार अब न केवल उत्पादन बढ़ाने, बल्कि नए अंतरराष्ट्रीय बाजार, ऑर्गेनिक खेती और वैश्विक गुणवत्ता मानकों पर काम कर रही है. जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब और बुंदेलखंड-पूर्वांचल में विशेष योजनाएं इसकी मिसाल हैं.

खाद्य निर्यात में यूपी की ताकत

उत्तर प्रदेश, जो आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है, अब निर्यात के क्षेत्र में भी बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश के कुल निर्यात को वर्ष 2030 तक तीन गुना करने का टारगेट सेट किया है. इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य में सबसे ज्यादा भरोसा खेती और बागवानी पर जताया जा रहा है.

दरअसल, कोविड के बाद भारत के कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. 2023-24 की तुलना में 2024-25 में यह वृद्धि करीब 10 प्रतिशत रही. गेहूं, चावल, फल-सब्जियों से लेकर जैविक उत्पादों तक की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है. इसके अलावा कई फलों एवं सब्जियों को नए बाजार मिले, जिनके दरवाजे पहले बंद थे.

फूड बास्केट बनेगा यूपी

उत्तर प्रदेश में श्रम अपेक्षाकृत सस्ता है, जो इसे कृषि आधारित उद्योगों के लिए एक मुफीद राज्य बनाता है. राज्य पहले से ही कई फसलों, फल और सब्जियों के उत्पादन में देश में टॉप पर है. सीएम योगी खुद कई मौकों पर कह चुके हैं कि यूपी को प्रकृति और ईश्वर ने ऐसी संभावनाएं दी हैं कि यह देश का ‘फूड बास्केट’ बन सकता है. इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए सरकार किसानों को बीज से लेकर बाजार तक हर मोर्चे पर सपोर्ट दे रही है.

गुणवत्ता और विविधता पर सरकार का फोकस

सरकार का फोकस केवल उत्पादन पर नहीं, बल्कि गुणवत्ता पर भी है. खेती में विविधता लाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जा रहा है. खासकर बुंदेलखंड और गंगा किनारे के इलाके प्राकृतिक खेती के लिए उपयुक्त माने गए हैं, जहां पहले से ही रसायन रहित खेती होती आ रही है. अब सरकार इसे राज्य भर में प्रमोट करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. इतना ही नहीं बुंदेलखंड और पूर्वांचल के किसानों को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से UP AGRI-G जैसी योजनाएं शुरू की हैं, जो किसानों को तकनीकी सहायता, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग से जोड़ेंगी.

इन्फ्रास्ट्रक्चर और निर्यात हब से मिलेगा बल

ज्यादा निर्यात के लिए बुनियादी ढांचे पर भी काम हो रहा है. जेवर में बन रहे एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब तैयार किया जा रहा है. यहां उत्पादों की गुणवत्ता जांचने के लिए अत्याधुनिक लैब बनाई जाएगी, ताकि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने वाला माल ही बाहर जाए. पूर्वांचल से हल्दिया तक जलमार्ग बनने से सब्जियों और अन्य उत्पादों का खाड़ी देशों में निर्यात भी तेज हुआ है.

ऑर्गेनिक की मांग, किसान होंगे लाभान्वित

कोविड के बाद से हेल्थ फूड और ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग दुनिया भर में बढ़ी है. अमेरिका और यूरोप जैसे देशों के उपभोक्ता अब जैविक उत्पादों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. यही वजह है कि सरकार प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को इंटरनेशनल बाजार से जोड़ने में लगी है. इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी और यूपी ग्लोबल फूड एक्सपोर्ट मैप पर मजबूती से उभरेगा.

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