Amul की तरह सहकारिता मॉडल पर काम करेगी ‘भारत टैक्सी’.. ग्राहकों के साथ चालक को भी फायदा
भारत टैक्सी, अमूल की तरह सहकारी मॉडल पर आधारित नई टैक्सी सेवा है. ड्राइवर और मालिक निर्णय में भागीदार हैं, जबकि शून्य कमीशन से उनकी आमदनी बढ़ती है. सवारी के लिए सर्ज प्राइसिंग नहीं होगी. सरकार और NeGD का समर्थन मिलने के साथ, लॉन्च 1 जनवरी 2026 से होगा.
Bharat Taxi: देश में जब भी सहकारिता की बात होती है, तो लोगों के जेहन में सबसे पहले अमूल का नाम उभरकर सामने आता है. क्योंकि लोगों को लगता है कि अमूल सिर्फ मक्खन या दूध का ब्रांड नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मॉडल है जिसमें लाखों लोगों ने मिलकर बड़े ब्रांड्स को चुनौती दी और सफलता हासिल की. साथ ही अमूल के अस्तित्व में आने से करोड़ों किसान और पशुपालकों की जिन्दगी में खुशहाली आई है. अब इसी सहकारिता सोच के साथ एक नई कंपनी ‘भारत टैक्सी’ अगले साल 1 जनवरी से अपनी सेवा शुरू करने जा रही है. खास बात यह है कि कुछ जगहों पर इसका पायलट पहले ही चल रहा है. इसे अमूल से इसलिए जोड़ा जा रहा है, क्योंकि यह भी सहकारी मॉडल पर काम करती है. तो आइए आज जानते हैं सहकारिता मॉडल पर आधाकित भारत टैक्सी के बारे में.
भारत टैक्सी का आधार सरल है. यह अमूल की तरह ही एक सहकारी पहल है. यानी इसके पीछे कोई मुनाफाखोर निजी कंपनी नहीं है. बल्कि, हजारों ड्राइवरों ने मिलकर इसे बनाया है. इससे ड्राइवरों और ग्राहकों दोनों के लिए फायदे हो सकते हैं. भारत टैक्सी का संचालन नई दिल्ली स्थित सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड करता है. इसके बोर्ड में अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर जयेन मेहता भी हैं. सेवा को भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय का समर्थन और नेशनल ई-गवर्नेंस डिविजन (NeGD) का इंटीग्रेशन भी मिला है. लेकिन असली सितारे वही ड्राइवर हैं, क्योंकि वे ही इस व्यवसाय के मालिक हैं.
भारत टैक्सी शून्य कमीशन पर कर रही है काम
Uber और Ola जैसी निजी कंपनियों के मुकाबले, भारत टैक्सी शून्य कमीशन (zero-commission) मॉडल पर काम करती है. इसका मतलब है कि ड्राइवर लगभग सारी कमाई अपने पास रख सकते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार यह प्रतिशत 80-100 फीसदी के बीच हो सकता है, हालांकि संचालन के लिए कुछ राशि सहकारी संस्था में योगदान के रूप में देना पड़ सकता है. Ola, Uber और Rapido जैसे प्लेटफॉर्म पर ड्राइवर अक्सर शिकायत करते हैं कि ईंधन, कार के ईएमआई और 20-30 फीसदी कमीशन कटने के बाद उन्हें बहुत कम पैसा मिलता है. भारत टैक्सी में यह अधिक कमाई ड्राइवरों को जोड़ने का सबसे बड़ा कारण है. लॉन्च के 10 दिनों में ही 51,000 से ज्यादा ड्राइवर जुड़ गए. खास बात यह है कि ड्राइवर सिर्फ पार्टनर नहीं हैं, उन्हें निर्णय लेने वाली टीम में भी जगह मिलती है. सहकार टैक्सी बोर्ड में चुने हुए ड्राइवर प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
किराया अचानक बढ़ने की समस्या नहीं
सवारी के लिए भी फायदे हैं. यानी अब ‘सर्ज प्राइसिंग’ का अंत होगा, यानी बारिश या ट्रैफिक में किराया अचानक बढ़ने की समस्या नहीं होगी. अक्सर यात्रा करने वाले मार्गों पर किराया रोजाना लगभग समान रहेगा, बजाय इसके कि कभी-कभी अचानक बहुत अधिक चार्ज हो. यह तब और स्पष्ट होगा जब सेवा पूरे देश में उपलब्ध होगी. भारत टैक्सी को Uber या Ola से ज्यादा मुनाफा कमाने की जरूरत नहीं है, बस ड्राइवर के लिए सतत और फायदे वाला होना जरूरी है. अगर ड्राइवर को कमीशन न होने की वजह से रोजाना 500 रुपये अधिक मिलते हैं, तो वे ऐप पर बने रहेंगे. वहीं, अगर सवारी को सर्ज प्राइसिंग न होने से 250 रुपये बचते हैं, तो वे ऐप का इस्तेमाल करेंगे और दूसरों को भी सुझाएंगे.