पंजाब से राजस्थान तक ‘हरे तेला’ ने मचाई तबाही, कपास उत्पादन में 30 फीसदी तक गिरावट की आशंका

इस साल हरे तेला जैसे कीटों का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल रहा है और इसके पीछे मौसम की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार कीटों के लिए हालात किसी “स्वर्ग” से कम नहीं हैं.

नई दिल्ली | Published: 1 Aug, 2025 | 05:02 PM

हर साल किसान मानसून का बेसब्री से इंतजार करते हैं ताकि फसल को पर्याप्त पानी मिले और अच्छी पैदावार हो. लेकिन इस बार पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कपास किसानों के लिए बारिश राहत नहीं, बल्कि एक नई मुसीबत लेकर आई है, हरा तेला यानी ग्रीन लीफहॉपर का कहर. कई सालों बाद यह कीट भारी संख्या में लौटा है और कपास की फसल को बुरी तरह चपेट में ले रहा है. जानकारों का मानना है कि अगर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो किसानों को 30 फीसदी तक का फसल नुकसान झेलना पड़ सकता है.

क्या है हरा तेला?

हरा तेला (Green Leafhopper) एक छोटा, 3.5 मिमी लंबा हरे रंग का कीट होता है, जो पत्तियों से रस चूसता है और एक तरह का जहर छोड़ता है. इससे पत्तियां पहले पीली पड़ती हैं, फिर सिकुड़ती हैं और आखिरकार सूख जाती हैं. यह प्रक्रिया हॉपर बर्न के नाम से जानी जाती है.

क्यों फैला है इस बार ज्यादा?

इस साल हरे तेला जैसे कीटों का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल रहा है और इसके पीछे मौसम की बड़ी भूमिका मानी जा रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार कीटों के लिए हालात किसी “स्वर्ग” से कम नहीं हैं. लगातार सामान्य से ज्यादा बारिश, बादलों की आवाजाही और खेतों में बनी नमी ने इनके प्रजनन और फैलाव के लिए अनुकूल वातावरण बना दिया है. खासकर वे दिन जब लगातार बारिश होती है, उस दौरान ये कीट तेजी से फैलते हैं और फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. यही वजह है कि इस बार हरे तेला का असर अधिक व्यापक नजर आ रहा है.

किसानों की हालत

द इंडियन एक्सप्रैस की खबर के अनुसार, उत्तर भारत के कई इलाकों में इस बार हरे तेला का प्रकोप कपास की खेती पर भारी पड़ रहा है. पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में हजारों एकड़ फसल इससे प्रभावित हो चुकी है. कई गांवों में एक भी खेत ऐसा नहीं बचा है जो इस कीट की चपेट में न आया हो. किसानों की कपास की पूरी फसल बर्बाद होने की कगार पर है. खेतों में हरे तेला के कारण पौधे कमजोर होकर सूखने लगे हैं और बचाव के उपाय भी खास असर नहीं दिखा रहे. लगातार फैलते संक्रमण और अनिश्चित मौसम के चलते किसान बेहद परेशान और असहाय महसूस कर रहे हैं.

कीट के लक्षण कैसे पहचानें?

क्या करें किसान?

खेतों का नियमित निरीक्षण करें

कीट दिखते ही अपनाएं शुरुआती उपाय

जब स्थिति हो गंभीर, तो करें कीटनाशक का प्रयोग

अगर संक्रमण तेजी से फैल चुका है, तो इन रसायनों का छिड़काव करें, लेकिन ध्यान रहे कि दवाएं बारी-बारी से इस्तेमाल करें ताकि कीटों में प्रतिरोधक क्षमता न बने:

छिड़काव का सही समय और तरीका

कुछ अतिरिक्त सावधानियां

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