पंजाब में किसान इस बार धान की हाइब्रिड किस्म की बुवाई नहीं कर पाएंगे. क्योंकि लुधियाना जिले में कृषि विभाग एक्टिव हो गया है और जिले में प्रतिबंधित हाइब्रिड बीजों की बिक्री रोकने के लिए सख्त कार्रवाई कर रहा है. दरअसल, पिछले साल एक गंभीर मामला सामने आया था. पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) की किस्म PR- 126 के नाम पर नकली हाइब्रिड बीज किसानों को बहुत महंगे दामों पर बेचे गए. जहां PR-126 की असली कीमत करीब 150 रुपये प्रति किलो थी, वहीं ये बीज 3,600 रुपये प्रति किलो तक बेचे गए. इसके चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ. यही वजह है कि सरकार इस साल PR-126 किस्म की बिक्री पर सख्ती से रोक लगा रही है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि बाद में पता चला कि इस हाइब्रिड बीज की वजह से चावल में टूटने की मात्रा बहुत ज़्यादा थी, जिससे मिल मालिकों को दिक्कत हुई और मंडियों में फसल खरीदने में देरी हुई. जिला कृषि अधिकारी गुरदीप सिंह ने कहा कि इस साल हम बीज की बिक्री पर पिछले एक महीने से नजर रख रहे हैं. ये हाइब्रिड बीज पहले ही बैन हो चुके हैं और अब हम लगातार निरीक्षण कर रहे हैं. डीलरों को साफ निर्देश दिया गया है कि वे ऐसे बीज न रखें और न बेचें. कृषि विभाग के जॉइंट डायरेक्टर खुद जगरा और समराला जाकर जांच कर चुके हैं.
नियम तोड़ने पर होगी सख्त कार्रवाई
जिला कृषि अधिकारी गुरदीप सिंह ने कहा कि अब तक की जांच में कहीं भी प्रतिबंधित हाइब्रिड बीज नहीं मिले हैं. लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी ने नियम तोड़े तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जो बीज अधिनियम 1983 के तहत होगी. इस बीच, जैसे-जैसे हाइब्रिड बीजों की बिक्री पर रोक लगाई गई है, वैसे ही पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) से प्रमाणित असली बीजों की मांग बढ़ गई है.
अभी तक 23,700 क्विंटल बीज बिक चुके हैं
पिछले साल करीब 20,400 क्विंटल असली बीज बेचे गए थे, जबकि इस साल अभी तक 23,700 क्विंटल बीज बिक चुके हैं. जबकि बिक्री का समय अभी एक हफ्ते तक और बाकी है. धान की रोपाई को लेकर सिंह ने कहा कि पूरे राज्य को तीन जोनों में बांटा गया है. लुधियाना जोन 3 में आता है, जहां रोपाई 9 जून से शुरू होगी. उन्होंने कहा कि इससे पहले, जिन इलाकों में भूजल स्तर बेहतर है, वहां क्रमशः 1 और 5 जून से रोपाई शुरू की जाएगी.