Bihar News: फसल अवशेष जलाने पर किसानों को नहीं मिलेगा गेहूं खरीद का लाभ

भारत में, चावल और गेहूं की कटाई के बाद फसल अवशेष जलाना किसानों की आदम में शामिल है. अब यह पर्यावरण प्रदूषण की एक बड़ी वजह बन चुका है. किसान अगली फसल के लिए खेतों को जल्दी से तैयार करने के लिए अवशेष जलाते हैं.

Kisan India
Noida | Updated On: 19 Mar, 2025 | 06:21 PM

फसल अवशेष का जलाया जाना भारत के कई राज्‍यों में एक बड़ी समस्‍या बन चुकी है. अब बिहार सरकार ने इस समस्‍या को नियंत्रित करने के मकसद से एक बड़ा ऐलान किया है. बिहार सरकार की तरफ से कहा गया है कि गेहूं के ऐसे किसान जो फसल अवशेष जलाएंगे, सरकार उनसे गेहूं की खरीद नहीं करेंगे यानी ये किसान सरकारी फायदे से वंचित रहेंगे. सरकार ने किसानों को सलाह दी है कि अवशेष को जलाने के बजाय वो उसका सही प्रबंध करें. आपको बता दें कि राज्‍य सरकार की तरफ से फसल अवशेष से जुड़े उपकरणों पर किसानों को 70 से 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है.

सब्सिडी का फायदा उठाएं किसान

बिहार के उप मुख्‍यमंत्री और सह कृषि विजय सिन्‍हा ने चेतावनी दी कि फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को या तो फिर उन्‍हें तत्‍काल प्रभाव से डीबीटी (DBT) के जरिये अलग-अलग योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित किया जा रहा है. साथ ही अब उन्हें गेहूं की खरीद के फायदे से भी वंचित किया जाएगा. बार-बार फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर कानूनी कार्रवाई होगी. उप-मुख्‍यमंत्री सिन्‍हा के मुताबिक किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए कृषि उपकरणों पर मिलने वाली सब्सिडी का फायदा उठाना चाहिए.

किसानों को किया जा रहा जागरूक

सिन्‍हा ने जानकारी दी कि जिन क्षेत्रों से फसल अवशेष जलाने की शिकायतें आईं थीं, वहां के किसान सलाहकारों और कृषि समन्वयकों को निर्देश दिया गया है कि वो गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करें. साथ ही सभी जिला पदाधिकारियों को लगातार इस निर्देश को फॉलो करने के लिए कहा जा रहा है. इसके अलावा सभी कृषि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के विज्ञानियों को भी इस संबंध में किसानों को प्रशिक्षित करने और इसके बुरे प्रभावों के बारे में जानकारी देने को कहा गया है.

किन-किन यंत्रों पर मिलती है सब्सिडी

बिहार सरकार की तरफ से कृषि यांत्रीकरण योजना के तहत हैप्पी सीडर, रोटरी मल्चर, स्ट्रॉ बेलर, सुपर सीडर, स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, रोटली सलेशर, जीरो टिलेज/सीड-कम-फर्टिलाइजर, पैडी स्टाचौपर आदि यंत्रों पर 75 से 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है. भारत में, चावल और गेहूं की कटाई के बाद फसल अवशेष जलाना किसानों की आदम में शामिल है. अब यह पर्यावरण प्रदूषण की एक बड़ी वजह बन चुका है. इसकी वजह से वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने की बातें अब तेजी से सामने आनी लगी हैं. विशेषज्ञों की मानें तो किसान अक्सर अगली फसल के लिए खेतों को जल्दी से तैयार करने के लिए अवशेष जलाते हैं, लेकिन उनकी इस आदत के गंभीर परिणाम अब भुगतने पड़ रहे हैं.

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Published: 18 Mar, 2025 | 01:53 PM

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