UP के कई जिलों में अंधाधुंध खाद के इस्तेमाल से घट गई पैदावार, वैज्ञानिकों की बढ़ी टेंशन.. कैसे उपजाऊ बनेगी मिट्टी?
राज्य सरकार भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना के तहत प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को आर्थिक मदद दे रही है. पहले साल 4,800 रुपये प्रति एकड़, और अगले दो साल तक 3,600 रुपये प्रति एकड़ की सहायता दी जाती है.
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज मंडल के किसानों को इस समय बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि सालों से रासायनिक खादों के अत्यधिक इस्तेमाल ने मिट्टी की सेहत बिगाड़ दी है और फसलों की पैदावार में भारी गिरावट आई है. राज्य कृषि विभाग के एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. दरअसल, रीजनल सॉयल टेस्टिंग लैब, प्रयागराज द्वारा लिए गए 1.2 लाख से ज्यादा मिट्टी के नमूनों की जांच की गई. जांच रिपोर्ट में पाया गया कि मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की मात्रा खतरनाक रूप से कम हो गई है, जो उपजाऊ मिट्टी के अहम तत्व हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लैब के सहायक निदेशक पियूष राय ने कहा कि मंडल के सभी जिले प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशांबी और फतेहपुर की मिट्टी की गुणवत्ता तेजी से गिर रही है. हमारे परीक्षणों में ऑर्गेनिक कार्बन का स्तर सामान्य 0.5 से 0.75 फीसदी से काफी नीचे पाया गया. उन्होंने कहा कि यह गिरावट लंबे समय से रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग की वजह से हुई है.
किन फसलों की कितनी घटी पैदावार
राय के मुताबिक, किसान सालों से ज्यादा उत्पादन के लिए रसायनों पर निर्भर हो गए हैं. ऐसे में आंधाधुन रासायनिक खादों के इस्तेमाल से मिट्टी कमजोर हो गई, पैदावार घटी और खेती की लागत बढ़ गई. कृषि उपनिदेशक पवन कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि 2020-21 से 2023-24 के बीच उत्पादन में बड़ी गिरावट आई है. गेहूं की पैदावार 28.15 से घटकर 24.04 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई. इसी तरह मक्का 18.25 से 12.89, जौ 20.4 से 16.5, बाजरा 12.32 से 9.13 और धान 31.90 से घटकर 28.40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रह गई है.
जैविक खेती को दिया जा रहा बढ़ावा
मिट्टी की घटती सेहत और कम होती पैदावार को देखते हुए कृषि विभाग ने जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है. कृषि उपनिदेशक पवन कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि विभाग किसानों को गाय-आधारित प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जो पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ विकल्प है. संयुक्त निदेशक (कृषि) एसके राय के अनुसार, प्रयागराज मंडल के चारों जिले प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी और प्रतापगढ़ में 27,409 किसानों ने 17,965 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती अपनाई है. ये किसान अब इसके सकारात्मक परिणाम देख रहे हैं.
3,600 रुपये प्रति एकड़ मिलती है सहायता
राज्य सरकार भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना के तहत प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को आर्थिक मदद दे रही है. पहले साल 4,800 रुपये प्रति एकड़, और अगले दो साल तक 3,600 रुपये प्रति एकड़ की सहायता दी जाती है. इसके अलावा जैविक बीज प्रबंधन के लिए भी अतिरिक्त फंड दिए जा रहे हैं. महिलाओं को भी इस हरित पहल से जोड़ा जा रहा है. ग्रामीण महिलाओं को ‘कृषि सखी’ (फार्म फ्रेंड) के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता फैला सकें. प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ये महिलाएं अब पूरे मंडल में सक्रिय हैं. प्रत्येक कृषि सखी को 5,000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है.