सुनकर आप भी हैरान होंगे लेकिन यह सच है कि उत्तर प्रदेश (यूपी) के कुछ जिलों के किसान आलू की फसल पर देसी शराब का छिड़काव कर रहे हैं. पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. यूपी के एक जिले के किसानों से बातचीत पर आधारित इस रिपोर्ट ने विशेषज्ञों के कान खड़े कर दिए हैं. उनकी मानें तो अगर किसानों को लगता है कि देसी शराब का इस्तेमाल उनकी फसल को फायदा पहुंचाएगा तो वो गलत सोचते हैं. उन्होंने किसानों को ऐसा न करने के लिए आगाह किया है. साथ ही साथ उन्हें इसके नुकसान और फायदों के बारे में भी बताया है.
ठंड का मौसम है खतरनाक
इस साल की शुरुआत में यूपी के बुलंदशहर के किसानों की तरफ से आलू की फसल पर देसी शराब के प्रयोग की बात सामने आई थी. कृषि विभाग के अधिकारियों और आलू की फसल के बारे में जानकारी रखने बारे विशेषज्ञों ने इस बात को काफी गंभीरता से लिया है. आलू, रबी की मुख्य फसल है और हर साल ठंड के मौसम में जब कोहरे का प्रकोप पड़ता है तो इस फसल को काफी नुकसान पहुंचता है. इससे फसल को नुकसान न पहुंचे उसके लिए ही किसान देसी जुगाड़ के प्रयोग के तहत ही शराब का इस्तेमाल करने लगते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार अगर कोहरे या पाले का दौर काफी दिनों तक चलता है तो आलू के अलावा सरसों की फसल को भी नुकसान पहुंचता है.
बुलंदशहर के किसानों ने फसल को ठंड और पाले से बचाने के लिए शराब का छिड़काव करने में लगे हुए हैं. हालांकि जब उन्होंने यह प्रयोग शुरू किया था तो उस समय तापमान लगातार गिरने में लगा हुआ था. साथ ही कोहरे की स्थिति भी बनी हुई थी. ऐसे में किसानों ने फसल को बचाने के उपाय शुरू कर दिए थे. शराब का छिड़काव भी इनमें से एक ही है. साल 2024 में भी इसी तरह की खबरें आई थीं.
फसल में लगा था रोग
पिछले साल की बात करें तो इटावा जिले से भी ऐसी खबरें आई थीं जिसमें किसानों की तरफ से शराब का इस्तेमाल करने के बारे में जानकारी मिली थीं. उस समय इटावा में जनवरी महीने की शुरुआत में तापमान 3 से 5 डिग्री के बीच बना हुआ था. इससे फसलों पर पाले का प्रकोप काफी तेजी से देखा गया था. माना गया था कि इससे फसलों पर बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया था. इसी के तहत झुलसा रोग के खतरे का अंदेशा भी बढ़ गया था. फसलों को इससे बचाने के लिए कई किसानों ने आलू की फसल पर देसी शराब का छिड़काव किया था. फिर 2025 के जनवरी महीने में भी इसी तरह की कई घटनाएं सामने आईं.
फायदे से ज्यादा नुकसान
वहीं जब किसानों से इसके बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि भयंकर ठंड में फसल को कोहरे से बचाने के लिए वो देसी शराब का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि उनकी बात के पीछे कोई भी वैज्ञानिक तर्क किसानों के पास नहीं मिला. किसानों की मानें तो क्योंकि देसी शराब, महंगे स्प्रे और दवाईयों की तुलना में काफी सस्ती पड़ती है इसलिए वो इसका प्रयोग करना पसंद कर रहे हैं.
वहीं, कृषि वैज्ञानिक इस बात से जरा भी इत्तेफाक नहीं रखते कि दवाईयों की जगह देसी शराब का छिड़काव, फसलों को बचा पाएगा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे हल्के स्तर पर फसल को थोड़ा फायदा तो मिल सकता है लेकिन लंबे समय तक इसका प्रयोग फसल के लिए जानलेवा हो सकता है. इसकी वजह से उगने वाली फसल से सेहत को नुकसान हो सकता है. इसलिए किसानों को देसी शराब के छिड़काव से बचना चाहिए.