गूगल ने लॉन्च किए खेतों के लिए स्मार्ट AI टूल, अब फसल की निगरानी होगी आसान

गूगल ने अब तक भारत की भाषाई विविधता को बेहतर तरीके से समझने और तकनीक से जोड़ने के लिए एक बड़ा डाटा संग्रह किया है. इसमें 21,500 घंटे की स्पीच ऑडियो, 835 घंटे की ट्रांसक्राइब्ड स्पीच और 112,000 से ज्यादा लोगों की आवाजें शामिल हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 11 Jul, 2025 | 06:47 AM

भारत की कृषि और भाषाई विविधता, दोनों ही इसकी पहचान हैं. लेकिन अब तक इन दोनों क्षेत्रों में तकनीक की गहराई से पहुंच कम रही है. इस गैप को भरने के लिए गूगल ने एक बड़ा कदम उठाया है. गूगल ने भारत के लिए नई जनरेटिव AI तकनीकों की घोषणा की है, जो खेती के प्रबंधन को बेहतर बनाएंगी और भारतीय भाषाओं को डिजिटल दुनिया में मजबूत स्थान देंगी.

खेती के लिए दो बड़े AI टूल्स: ALU और AMED

1. ALU API (Agricultural Landscape Understanding):
यह जनरेटिव एआई पर आधारित टूल है, जो मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु स्थितियों और मौसम की जानकारी देता है. इससे किसान फसल की बुवाई और कटाई सही समय पर कर सकते हैं और पैदावार बढ़ा सकते हैं.

2. AMED API (Agricultural Monitoring and Event Detection):
यह नया टूल ALU से भी आगे का स्तर है. यह खेत दर खेत डेटा देता है और फसल के प्रकार, खेत का आकार, बुवाई/कटाई का समय, और पिछले तीन वर्षों का रिकॉर्ड प्रदान करता है.

इससे किसान यह जान सकेंगे

  • खेत में कौन सी फसल थी या है
  • कब बोया गया, कब कटेगा
  • उत्पादन की संभावित मात्रा क्या होगी
  • किस खेत में क्या सुधार जरूरी है
  • गूगल इस टूल को एग्रीटेक स्टार्टअप्स के साथ साझा करेगा, ताकि वे किसानों के लिए नए डिजिटल समाधान बना सकें.

अब आपकी भाषा में बोलेगा AI

गूगल की Amplify Initiative भारत की भाषाई विविधता को एआई में शामिल करने की दिशा में काम कर रही है. इसके तहत IIT खड़गपुर के साथ साझेदारी में देशभर से स्थानीय भाषाओं और संस्कृति पर आधारित डेटा इकट्ठा किया जा रहा है. यह डाटा ओपन-सोर्स होगा और स्टार्टअप्स और डेवलपर्स के लिए उपलब्ध रहेगा. खासतौर पर स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे सेक्टर के लिए ये स्थानीय भाषा आधारित एआई मॉडल बेहद जरूरी होंगे.

21,500 घंटे की आवाज और 86 भाषाओं का संग्रह

गूगल ने अब तक भारत की भाषाई विविधता को बेहतर तरीके से समझने और तकनीक से जोड़ने के लिए एक बड़ा डाटा संग्रह किया है. इसमें 21,500 घंटे की स्पीच ऑडियो, 835 घंटे की ट्रांसक्राइब्ड स्पीच और 112,000 से ज्यादा लोगों की आवाजें शामिल हैं. ये डाटा देश के 120 जिलों और 22 राज्यों से 86 अलग-अलग भाषाओं में इकट्ठा किया गया है.

इस बहुभाषी डाटा का इस्तेमाल अब एआई टूल्स तैयार करने में किया जा रहा है, ताकि भारत के ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाएं, सुरक्षा से जुड़ी जानकारी और डिजिटल सुविधाएं स्थानीय भाषाओं में लोगों तक आसानी से पहुंच सकें.

स्टार्टअप्स और सरकारी एजेंसियों के साथ भागीदारी

गूगल भारत सरकार और कई स्थानीय स्टार्टअप्स के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रहा है कि यह तकनीक केवल रिसर्च तक सीमित न रहे, बल्कि जमीन तक पहुंचे. TerraStack जैसे स्टार्टअप पहले से ही गूगल के एआई टूल्स का इस्तेमाल करके ग्रामीण जमीन और कृषि जोखिम का आकलन कर रहे हैं.

AI का विस्तार-खेती से लेकर कैंसर तक

गूगल का एआई काम सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है. भारत में 1.5 लाख से ज्यादा रिसर्चर्स AlphaFold Protein Structure Database का उपयोग कर रहे हैं, जो कैंसर और अन्य बीमारियों की रिसर्च में मदद कर रहा है.

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