बारिश में गन्ने की फसल को कैसे बचाएं? जानें पोक्का बोइंग और लाल सड़न से निपटने का तरीका

बरसात के मौसम में गन्ने की फसल को पक्का बोइंग और लाल सड़न जैसी फफूंद जनित बीमारियों से गंभीर खतरा होता है. इसके लिए नियमित छिड़काव और सावधानी से गन्ने की फसल को बरसात में बचाया जा सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 25 Jul, 2025 | 06:00 AM

बरसात का मौसम शुरू है. ये वक्त गन्ना बोने वालों के लिए खुशखबरी भी ला सकता है और मुसीबत भी. अगर समय पर ध्यान दिया तो गन्ना खूब बढ़ेगा, लेकिन अगर जरा सी लापरवाही हुई तो सारी मेहनत बर्बाद हो सकती है. जुलाई से सितंबर के बीच गन्ना हर हफ्ते करीब 5 इंच तेजी से बढ़ता है. लेकिन इसी वक्त दो बीमारियां पोक्का बोइंग और लाल सड़न, फसल को जड़ से खत्म कर सकती हैं. इसलिए किसान भाई ध्यान रखें, बारिश के इन महीनों में गन्ने की देखभाल में कोई कसर न छोड़ें, तभी खेत भी लहराएगा और कमाई भी अच्छी होगी.

समय पर करें पौधों की बंधाई

मॉनसून के मौसम में गन्ने की फसल  की बढ़त तेज होती है, लेकिन इस दौरान पौधों के गिरने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में खेत में मिट्टी चढ़ाना और पौधों की बंधाई करना बहुत जरूरी हो जाता है. मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी हो और वह नरम हो, तभी ये काम करना चाहिए. वहीं, मिट्टी चढ़ाने से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और बंधाई से पौधे सीधे खड़े रहते हैं. इससे फसल मजबूत, सीधी और रोगों से सुरक्षित बनी रहती है, जिससे उपज में बढ़ोतरी होती है.

क्या है पक्का बोइंग और लाल सड़न बीमारी

पक्का बोइंग रोग गन्ने की एक खतरनाक बीमारी है, जो सफेद फफूंद से फैलती है. इस रोग में गन्ने की पत्तियों पर सफेद और पीले धब्बे दिखने लगते हैं, जो बाद में मुरझाकर काले पड़ जाते हैं. इससे पत्तियों का ऊपरी भाग सड़कर गिर जाता है और पौधे की बढ़त रुक जाती है. इतना ही नहीं प्रभावित गन्ना सामान्य लम्बाई तक नहीं पहुंच पाता और बौना रह जाता है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है.

लाल सड़न रोग भी गन्ने की फसल के लिए बेहद नुकसानदायक है. इस रोग में गन्ने की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और फिर सूखने लगती हैं. शुरुआत में पत्तियों का ऊपरी हिस्सा सूखता है और धीरे-धीरे पूरी फसल खराब हो जाती है। समय रहते इलाज न किया जाए तो पूरी खेती बर्बाद हो सकती है.
ऐसे मिलेगी राहत

बचाव के लिए करें ये काम

पक्का बोइंग रोग से बचाव  के लिए गन्ने की फसल पर 0.2 फीसदी कॉपरऑक्सिक्लोराइड या 0.1 फीसदी बावस्टीन घोल का छिड़काव करें. वहीं, लाल सड़न बीमारी के लिए 0.1 फीसदी थियोफिनेट मेथिल, काबेन्डाजिम या टिबूकोनाजोल का 2-3 बार छिड़काव करना फायदेमंद होता है. इन दोनों बीमारियों से फसल की रक्षा के लिए समय पर स्प्रे जरूरी है. साथ ही किसानों को जैविक कीटनाशकों का भी इस्तेमाल करना चाहिए ताकि मिट्टी की सेहत बनी रहे और रोग का प्रभाव कम हो. समय पर बचाव से उत्पादन में नुकसान से बचा जा सकता है.

Published: 25 Jul, 2025 | 06:00 AM

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