धान खरीदी में हो रही देरी से किसानों का बढ़ा गुस्सा, 12 घंटे तक पदमपुर उपखंड में विरोध-प्रदर्शन
ओडिशा के बारगढ़ जिले के पदमपुर में धान खरीद में अव्यवस्था के खिलाफ किसानों ने 12 घंटे का बंद किया. धीमी खरीद, टोकन न मिलने और कटौती के आरोपों से किसान परेशान हैं. प्रशासन से समाधान न मिलने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी गई है.
Odisha News: ओडिशा के बारगढ़ जिले के पदमपुर उपखंड में शुक्रवार को किसानों के 12 घंटे के बंद के कारण जनजीवन पूरी तरह प्रभावित रहा. किसान मौजूदा खरीफ सीजन में धान खरीद सही तरीके से न होने के विरोध में बंद पर उतरे थे. बंद के दौरान सरकारी और निजी दफ्तर, बैंक, स्कूल-कॉलेज, बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे और सड़कों पर वाहन भी नहीं चले. राजबोड़ासांबर कृषक संगठन के बैनर तले आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि इस साल जिले में धान खरीद की प्रक्रिया लगभग ठप हो गई है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024-25 के खरीफ सीजन में 24 दिसंबर तक जहां 3 लाख टन से ज्यादा धान खरीदा गया था, वहीं मौजूदा सीजन में इसी तारीख तक सिर्फ करीब 1.5 लाख टन धान की ही खरीद हो पाई है, जो लगभग 50 फीसदी कम है. किसानों का दावा है कि आमतौर पर बारगढ़ जिले में खरीफ सीजन के दौरान औसतन 77 लाख क्विंटल धान की खरीद होती है, लेकिन अब तक सिर्फ करीब 15 लाख क्विंटल धान ही 33,571 किसानों से खरीदा गया है. करीब 1.25 लाख किसान अभी भी अपनी फसल बेचने का इंतजार कर रहे हैं.
किसानों ने लगाया गंभीर आरोप
वहीं, कई किसानों का आरोप है कि उन्हें अभी तक धान बेचने के लिए पहला टोकन भी नहीं मिला है, जबकि मिलर मंडियों में प्रति क्विंटल 3- 4 किलो कटौती मानने पर ही धान उठाने से मना कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि खरीद की रफ्तार बेहद धीमी होने के कारण वे मजबूरी में निजी व्यापारियों को कम दाम पर धान बेच रहे हैं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है.
अव्यवस्था के खिलाफ हो रहा है किसानों का आंदोलन
संयुक्त कृषक संगठन के सलाहकार और किसान नेता रमेश महापात्रा ने कहा कि मौजूदा खरीफ सीजन की शुरुआत से ही धान खरीद में अव्यवस्था के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ये समस्याएं कई बार उठाई गईं, लेकिन अब तक कोई ठोस सुधार नहीं किया गया. बाद में सहायक नागरिक आपूर्ति अधिकारी और पदमपुर के तहसीलदार ने आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत की कोशिश की, लेकिन किसानों का आरोप है कि अधिकारियों ने उनकी मांगों पर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया, जिससे बातचीत बेनतीजा रही. महापात्रा ने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने किसानों की मांगें नहीं मानीं, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज किया जाएगा.