फसल नुकसान: महाराष्ट्र में 60 फीसदी पूरा हुआ सर्वे का काम, जानें किसानों को कब मिलेगी आर्थिक मदद

महाराष्ट्र में भारी बारिश से 1.8 करोड़ एकड़ में से 60 फीसदी फसलें प्रभावित हुई हैं. कृषि मंत्री दत्ताभरणे ने मुआवजे में देरी स्वीकारते हुए कहा कि पंचनामा प्रक्रिया अभी जारी है. राज्य ने 31,628 करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया है और केंद्र से अधिकतम मदद की कोशिश हो रही है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 21 Oct, 2025 | 05:08 PM

Maharashtra News: महाराष्ट्र में इस साल भारी बारिश से फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. इससे किसानों को आर्थिक हानि हुई है. हालांकि, राज्य सरकार ने किसानों को फसल मुआवजा देने का ऐलान किया है. इसी बीच कृषि मंत्री दत्ताभरणे ने सोमवार को स्वीकार किया कि बाढ़ से प्रभावित सभी खेतों का पंचनामा अभी पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है. जैसे ही पूरी रिपोर्ट तैयार हो जाएगी, राज्य सरकार केंद्र सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजेगी, ताकि प्रभावित परिवारों के लिए राहत पैकेज मांगा जा सके.

मंत्री दत्ताभरणे ने कहा कि जो प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाता है, उसमें किसी तरह की गलती नहीं होनी चाहिए, क्योंकि एक बार भेजने के बाद उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता. इसलिए थोड़ा समय लग रहा है. हम इस पर काम कर रहे हैं, ताकि केंद्र से अधिकतम मदद मिल सके. राज्य सरकार ने 31,628 करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया है और बाढ़ प्रभावित जिलों  के अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा दिया जा रहा है.

किसानों को मुआवजा देने में हो रही है देरी

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि मंत्री ने कहा कि मैं मानता हूं कि मुआवजा देने में देरी हो रही है, क्योंकि कुछ इलाकों का पंचनामा अभी चल रहा है. कुल 1.8 करोड़ एकड़ में से करीब 60 फीसदी क्षेत्र सितंबर में हुई भारी बारिश  से प्रभावित हुआ था. हम किसानों को भरोसा दिलाते हैं कि हर एक को सरकार की तरफ से मदद मिलेगी, ताकि वे फिर से संभल सकें.

कर्जमाफी की मांग को लेकर प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया

इस बीच विपक्ष ने मुआवजा देने में हो रही देरी को लेकर सरकार की आलोचना की है. सोमवार को एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने देहू में स्थित संत तुकाराम महाराज मंदिर के बाहर किसानों की कर्जमाफी  की मांग को लेकर प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सरकार को याद दिलाने के लिए है कि संत तुकाराम महाराज ने एक बार अपने पिता की साहूकारी की बहीखाताएं इंद्रायणी नदी में बहा दी थीं, जिससे किसानों का कर्ज माफ हो गया था. पवार ने इसे दुनिया की पहली कर्जमाफी बताया और कहा कि इसके बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी ऐसा ही निर्णय लिया था. बता दें कि आज ही खबर सामने आई थी कि महाराष्टआ में इस साल रबी फसलों की पैदावार बढ़ सकती है. क्योंकि अधिक बारिश के चलते सिंचाई के लिए डैम, तालाब और नदियों में जलस्तर बढ़ गया है.

 

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Published: 21 Oct, 2025 | 05:04 PM

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