केले को खराब करते हैं ये खतरनाक रोग, इन उपायों से करें फसल का बचाव

केल के फल पर सिगाटोका रोग और पनामा विल्ट रोग का प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है. ये दोनों रोग फफूंद लगने से होते हैं, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 31 May, 2025 | 04:29 PM

वैसे तो केले की खेती किसानों के लिए बेहतर मुनाफे का सौदा है, लेकिन फसल बढ़ने के साथ-साथ केले के पौधों और फलों में रोग लगने का भी खतरा बढ़ जाता है. केले के फल पर सिगाटोका रोग और पनामा विल्ट रोग का प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है. ये दोनों रोग फफूंद लगने से होते हैं, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है. सही समय पर फसल की देखरेख और सुरक्षा न करने पर किसान को काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है. तो चलिए इस खबर में आपको बताते हैं कि केले की फसल को रोगों से किस तरह बचाया जा सकता है.

सीगाटोका रोग के लक्षण और बचाव

बता दें कि केले की फसल में होने वाला सीगाटोका रोग दो तरह का होता है. पीला सीगाटोका और काला सीगाटोका.

पीले सीगाटोका: रोग हो जाने पर केले के नए पत्ते के ऊपरी भाग पर हल्का पीला दाग नजर आने लगता है. बाद में ये धब्बे बड़े और भूरे रंग के हो जाते हैं. इस रोग से फलों के उत्पादन पर असर पड़ता है.

पीले सीगाटोका से बचाव: इस रोग से बचाव के लिए किसान प्रतिरोधी किस्म के पौधे लगाएं. साथ ही खेत को खरपतवार से मुक्त रखें, खेत से अधिक पानी की निकासी कर लें और 1 किलो ट्राईकोडर्मा विरिडे को 25 किलो गोबर खाद के साथ प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिला दें. ऐसा करने से इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है.

काला सीगाटोका: इस रोग के कारण केले की पत्तियों के निचले भाग पर काले धब्बे पड़ने लगते हैं. यह रोग अधिक तापमान होने के कारण फैलता है और केला समय से पहले ही पक जाता है. जिसके कारण किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है.

काला सीगाटोका से ऐसे करें बचाव: इस रोग से बचाव के लिए रासायनिक फफूंदनाशक कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. ऐसा करने से फल समय से पहले नहीं पकता है.

क्या है पनामा विल्ट के लक्षण

इस रोग के लगने पर केले का पौधा अचानक से सूखने लगता है या नीचे की हिस्से की पत्तियां सूखने लगती हैं. इस रोग का लक्षण है कि पत्तियां पीली होकर रंगहीन हो जाती हैं और बाद में मुरझा कर गिर जाती हैं. उसके बाद धीरे-धीरे केले के पौधे के तने सड़ने लगते हैं और सड़ी मछली जैसी दुर्गंध आने लगती है.

ऐसे करें बचाव : पनामा रोग से बचाव के लिए किसान कार्बेन्डाजिम डब्लू.पी. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव करें. इस दवा के छिड़काव से केले की पत्तियां चिकनी होती हैं. इसलिए बेहतर होगा अगर घोल में स्टीकर मिला दिया जाए.

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