Farming Tips: कृषि में कुछ फसलें ऐसी होती हैं जो न सिर्फ मुनाफा देती हैं, बल्कि खाने में भी स्वास्थ्यवर्धक होती हैं. ऐसी ही एक फसल है काली गाजर, खासकर गाजर की पूसा आसिता वैरायटी. अक्टूबर के महीने में इसकी बुवाई करने से किसानों को अच्छी पैदावार और बढ़िया मुनाफा मिलता है. यह गाजर सिर्फ स्वाद में नहीं, बल्कि पोषण में भी बेहतरीन है. बाजार में इसकी कीमत सामान्य गाजर से कई गुना ज्यादा होती है, इसलिए इसे “मुनाफेदार फसल” कहा जाता है.
कुबेर का खजाना साबित होगी यह फसल
पूसा आसिता गाजर का रंग गहरा काला-बैंगनी होता है और यह खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. इसमें एंथोसायनिन भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. इस फसल की खेती मैदानी इलाकों में सबसे अच्छी होती है और अक्टूबर में बोने पर उपज भी बेहतर मिलती है. इसलिए किसान इसे बड़े पैमाने पर उगाने में रुचि रखते हैं.
कैसे करें पूसा आसिता गाजर की खेती
पूसा आसिता गाजर की खेती आसान होने के साथ-साथ बहुत लाभदायक भी है. इसे सही तरीके से उगाने पर किसान अच्छी पैदावार और उच्च मुनाफा कमा सकते हैं. नीचे इस फसल की खेती के लिए सभी जरूरी कदम और सावधानियां दी गई हैं.
मिट्टी का चुनाव और तैयारी
पूसा आसिता गाजर के लिए हल्की दोमट या रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. यह मिट्टी न केवल पानी को अच्छी तरह पकड़ती है, बल्कि जड़ों के फैलने और गाजर के आकार में भी मदद करती है. खेत की जुताई अच्छी तरह करें और मिट्टी को बारीक डालें ताकि बीज आसानी से अंकुरित हो सकें. खेत को समतल करना भी जरूरी है, ताकि सिंचाई समान रूप से हो सके.
बीज का चयन और तैयारी
बीज का चयन बहुत महत्वपूर्ण है. हमेशा स्वस्थ और शोधित बीज ही खरीदें. शोधित बीज की मदद से फसल कीट और रोगों से सुरक्षित रहती है. प्रति हेक्टेयर लगभग 6–7 किलो बीज पर्याप्त होते हैं. बोवाई से पहले बीज को हल्का गीला करके कुछ घंटे भिगो दें, इससे अंकुरण जल्दी होता है.
बुवाई का सही समय और तरीका
पूसा आसिता गाजर की बुवाई अक्टूबर के महीने में सबसे अच्छी होती है. बीज को सीधे खेत में लाइन या बेड के रूप में बोया जा सकता है. लाइन बुवाई में बीजों के बीच लगभग 5-6 सेमी की दूरी रखें. बाद में जुताई या मुल्चिंग करके मिट्टी की नमी बनाए रखें.
खाद और पोषण
उपज और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संतुलित मात्रा में खाद डालना जरूरी है. गोबर की सड़ी हुई खाद खेत में डालें और नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश (NPK) का संतुलित इस्तेमाल करें. नाइट्रोजन पत्तियों को मजबूत करता है, फास्फोरस जड़ों के विकास में मदद करता है और पोटाश स्वाद व रंग को बढ़ाता है.
सिंचाई और देखभाल
गाजर की बुवाई के बाद नियमित सिंचाई करें. खेत में नमी बनी रहनी चाहिए, लेकिन जलभराव नहीं होना चाहिए. समय-समय पर खरपतवार हटाएं ताकि फसल का पोषण पूरी तरह से गाजर तक पहुंचे.
फसल तैयार होने का समय
पूसा आसिता गाजर लगभग 90–100 दिन में तैयार हो जाती है. जड़ों का रंग गहरा बैंगनी-काला और आकार अच्छे होने पर ही गाजर बाजार में उच्च कीमत पर बिकती है. सही देखभाल और पोषण से उपज बढ़ती है और फसल लंबे समय तक ताजा रहती है.
उत्पादन और मुनाफा
पूसा आसिता गाजर की उपज बहुत अच्छी होती है. एक हेक्टेयर में लगभग 350–400 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है. इसकी बाजार में कीमत सामान्य गाजर से काफी ज्यादा है. इस फसल की खेती से किसान आसानी से लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं. यह गाजर प्राकृतिक रूप से काली या बैंगनी होती है और पोषक तत्वों से भरपूर होती है, इसलिए इसे स्वास्थ्य और मुनाफा दोनों के लिहाज से बेहतरीन माना जाता है.