फसलों से अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे फसल की उन्नत किस्मों का चुनाव करें. ताकि उत्पादन के साथ-साथ उनकी कमाई भी अच्छी हो सके. ऐसा ही कुछ कोदो की फसल के साथ भी है. श्रीअन्न फसलों में से एक कोदो की फसल कम पानी में भी अच्छी उपज देने वाली फसल है, साथ ही इसकी खासियत है कि ये कम उपजाऊ मिट्टी में भी अच्छी पैदावार देती है. ऐसे ही कोदों की भी कुछ उन्नत किस्में हैं जिन्हें अच्छे उत्पादन के लिए विकसित किया गया है.
कोदो की उन्नत किस्में
जवाहर कोदो- 439 (JK-439)
कोदो की इस किस्म को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए विकसित किया गया है. इसके साथ ही ये किस्म पहाड़ी इलाकों में भी उगाने के लिए अनुकूल है. कोदो की ये किस्म बुवाई के करीब 100 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. बात करें इसके उत्पादन की तो बारिश आधारित खेती करने से इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसान 10 से 15 क्विंटल पैदावार कर सकते हैं . वहीं सिंचाई के माध्यम से की गई खेती से किसान इसकी प्रति हेक्टेर फसल से औसतन 20 से 23 क्विंटल पैदावार कर सकते हैं.
टीएनएयूके- 2 (TNAUK- 2)
कोदो की इस किस्म को तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) द्वारा विकसित किया गया है. वैसे तो इस किस्म की खेती बारिश के पानी पर आधारित होती है लेकिन सूखी जगहों पर भी इसकी खेती की जा सकती है. कोदो की इस किस्म की बुवाई के करीब 70 से 75 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है इसलिए ये जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है. बात करें इस किस्म से होने वाली उपज की तो इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसान औसतन 1.8 टन पैदावार कर सकते हैं.
जवाहर कोदो-41 (JK-41)
कोदो की इस किस्म को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा विकसित किया गया है. यह सूखा सहने की क्षमता रखने वाली किस्म है और इसका दाना गहरे भूरे रंग का होता है. इस किस्म की खेती को पहाड़ी इलाकों के लिए सही माना जाता है. बात करें कोदों की इस किस्म से होने वाली पैदावार की तो बता दें कोदो की इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर करीब 15 से 18 क्विंटल तक पैदावार कर सकते हैं. इसके पौधों की ऊंचाई 55 से 60 सेंटीमीटर