देश में 1 मई 2025 तक सोयाबीन का स्टॉक लगभग 48.35 लाख टन था, जो पिछले साल इसी समय के 55.41 लाख टन के मुकाबले कम है. सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) के मुताबिक, व्यापारियों और किसानों के पास इस समय करीब 29.66 लाख टन सोयाबीन मौजूद है. इसके अलावा सरकारी एजेंसियों नाफेड के पास 13.19 लाख टन और एनसीसीएफ के पास 5.5 लाख टन सोयाबीन है. वहीं, यूरोपीय देश भी भारत से जमकर सोयामील खरीद रहे हैं.
वर्तमान तेल वर्ष 2024-25 में गैर-जीएम यानी नॉन-जेनेटिकली मॉडिफाइड की सबसे ज्यादा खरीद यूरोपीय देशों ने की, जिनमें जर्मनी और फ्रांस टॉप पर रहे. जर्मनी सबसे बड़ा खरीदार रहा, जिसने 2.12 लाख टन से ज्यादा सोयामील खरीदा. उसके बाद फ्रांस 1.61 लाख टन से ज्यादा खरीदा. इसके अलावा नेपाल 1.37 लाख टन, बांग्लादेश 1.24 लाख टन और नीदरलैंड ने 1.03 लाख टन सोयामील खरीदा.
19.96 लाख टन सोयाबीन की खरीद
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने खरीफ 2024 सीजन में मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत कुल 19.96 लाख टन सोयाबीन की खरीद की है. यह खरीद 4,892 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर हुई, जबकि सरकार ने 33.90 लाख टन खरीद की मंजूरी दी थी. इस सीजन में मांग कम होने के कारण कई मंडियों में सोयाबीन के भाव MSP से नीचे बने हुए हैं. Agmarknet के आंकड़ों के मताबिक, शुक्रवार को मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन का मॉडल भाव 3,900 रुपये से 4,560 रुपये प्रति क्विंटल के बीच दर्ज किया गया.
सोयाबीन की पेराई 9.5 लाख टन रही
SOPA के ताजा सप्लाई-डिमांड आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल महीने में सोयाबीन की पेराई करीब 9.5 लाख टन रही, जो पिछले साल इसी महीने के लगभग बराबर है. इस दौरान बाजार में सोयाबीन की आवक थोड़ी बढ़कर 5.5 लाख टन रही, जबकि पिछले साल यह 5 लाख टन थी. सोयाबीन मील का उत्पादन भी 7.5 लाख टन पर स्थिर रहा. अप्रैल में सोयाबीन मील का निर्यात थोड़ा बढ़कर 2.14 लाख टन हो गया, जबकि पिछले साल यह 1.76 लाख टन था. वहीं, पशु आहार के लिए घरेलू मांग घटकर 4.5 लाख टन रही, जो पिछले साल 5 लाख टन थी. 1 मई की शुरुआत में सोयाबीन मील का स्टॉक लगभग 1.36 लाख टन आंका गया है.