महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए जलना जिला प्रशासन ने राजस्व विभाग के कम से कम 21 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. इन पर किसानों को फसल नुकसान मुआवजा देने के लिए आए 42 करोड़ रुपये की गड़बड़ी करने का आरोप है. प्रशासन ने अब जांच को जलना की कई तहसीलों और मराठवाड़ा के सात और जिलों तक बढ़ाने का फैसला किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घोटाला तब सामने आया जब जलना जिले की अंबड और घनसावंगी तहसीलों के कुछ किसानों ने मुआवजा वितरण में अनियमितताओं की शिकायत की. इसके बाद जनवरी 2025 में जलना के जिलाधिकारी श्रीकृष्ण पांचाल ने इन तहसीलों में मुआवजा वितरण की जांच के लिए जिला स्तरीय समिति बनाई.
राज्य सरकार ने 2022 से अब तक जलना जिले को प्राकृतिक आपदा के बाद कृषि राहत के लिए 450 करोड़ रुपये दिए थे. जांच समिति की अंतरिम रिपोर्ट में पाया गया कि इसमें से 79 करोड़ रुपये की रकम संदिग्ध है और लाभार्थी सूची तथा फंड वितरण में भारी गड़बड़ी हुई है.
42 करोड़ रुपये के फर्जी दावों के जरिए हेराफेरी
जांच में सामने आया है कि अब तक 42 करोड़ रुपये के फर्जी दावों के जरिए हेराफेरी की गई है. जलना के जिलाधिकारी श्रीकृष्ण पांचाल ने कहा कि अब तक 21 अधिकारियों को निलंबित किया गया है, जिनमें 17 तलाठी और 5 लिपिक शामिल हैं. इसके अलावा 35 तलाठियों पर विभागीय जांच शुरू की गई है और 5 तहसीलदारों को कारण बताओ नोटिस (शोकॉज) जारी किए गए हैं.
इस मामले की रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी ताकि आगे की कार्रवाई हो सके. हेराफेरी की गई राशि में से अब तक करीब 7 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है. अन्य तहसीलों में भी जांच चल रही है और जल्द ही उसकी रिपोर्ट आने की उम्मीद है.
मुआवजा फर्जी किसानों के नाम पर लिया गया
जांच से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार यह घोटाला एक खास प्लान के तरीके से किया गया. मुआवजा फर्जी किसानों के नाम पर लिया गया कई बार सरकारी या बंजर जमीन को भी दिखाया गया. कई मामलों में जमीन का क्षेत्रफल बढ़ाकर ज्यादा मुआवजा दिखाया गया. डुप्लीकेट दावे किए गए और जमीन के रिकॉर्ड में हेराफेरी भी की गई. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह कोई सामान्य क्लेरिकल गलती नहीं थी, बल्कि स्कीम का सुनियोजित दुरुपयोग था. कुछ मामलों में ऐसी जमीन पर भी मुआवजा लिया गया जहां कभी खेती ही नहीं हुई थी.
1.9 करोड़ रुपये तक की हेराफेरी की
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 10 अधिकारियों ने अकेले 1 करोड़ से 1.9 करोड़ रुपये तक की हेराफेरी की है, जबकि कई अन्य ने 25 लाख से 50 लाख रुपये के बीच गबन किया है. किसान संगठनों ने अब इस घोटाले में व्यापक जवाबदेही की मांग की है. उनका कहना है कि ग्राम सेवक और कृषि सहायकों की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं अधिकारियों पर जमीन और फसल नुकसान की पुष्टि की जिम्मेदारी होती है, लेकिन अब तक उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है.
जिलाधिकारी श्रीकृष्ण पांचाल ने कहा कि इस योजना से जुड़े सभी लोगों, जिसमें ग्राम सेवक और कृषि सहायक भी शामिल हैं, की जांच की जा रही है. अंतिम ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी.