गो आधारित खेती करेंगे 1 करोड़ किसान, पर्यावरण संरक्षण के लिए यूपी सरकार ने उठाया कदम

उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्राम उर्जा मॉजल को आधार मानकर काम किया जाएगा. इस मॉडल के तहत प्रदेश के हर गांव में गोशालाओं की मदद से बायोगैस, वर्मीकंपोस्ट, जीवामृत आदि का उत्पादन किया जाएगा.

नोएडा | Published: 19 Jul, 2025 | 07:05 PM

कृषि क्षेत्र के विस्तार और किसानों की आय बढ़ाने के साथ- साथ राज्य सरकारें इस बात पर भी जोर देती हैं कि खेती पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल हो, ताकि वातावरण को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रदेश में गो आधारित खेती की योजना बनाई है. इसके लिए प्रदेश सरकार कीटनाशक मुक्त अन्न, दूध, फल और सब्जियां की खेती को बढ़ावा देने जा रही है, ताकि लोगों जैविक खाना मिल सके.

1 करोड़ से ज्यादा किसान करेंगे गो आधारित खेती

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग  द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर पहली बार गांव-गांव में अभियान चलाए जाने की तैयारी है. इस अभियान के तहत 1 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलेगा. बता दें कि गो आधारित खेती करने के लिए प्रदेश के किसानों को ट्रेंनिंग दी जाएगी. इसके साथ ही संसाधन और तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी.

ग्राम उर्जा मॉडल से यूपी बनेगा आत्मनिर्भर

उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्राम उर्जा मॉजल को आधार मानकर काम किया जाएगा. इस मॉडल के तहत प्रदेश के हर गांव में गोशालाओं की मदद से बायोगैस, वर्मीकंपोस्ट, जीवामृत आदि का उत्पादन किया जाएगा, ताकि जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सके. बता दें कि केमिकल उर्वरकों की जगह इन जीवामृत जैसे जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल कर किसान अपनी प्रति एकड़ जमीन पर 10 से 12 हजार रुपये तक की बचत कर सकते हैं. इस तरह खेती में आने वाली लागत कम होगी और उन्नत क्वालिटी का उत्पादन मिलेगा. जिससे बाजार में किसानों को अपनी उपज का सही दाम भी मिल सकेगा.

किसानों की आमदनी बढ़ेगी

गो आधारित खेती को अपनाकर पर्यावरण को संरक्षित करने के साथ-साथ किसान अपनी आमदनी भी बढ़ा सकेंगे. जिससे वे आर्थिक तौर पर मजबूत होकर आत्मनिर्भर बन सकेंगे. बता दें कि गो आधारित खेती से मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी. साथ ही केमिकल उर्वरकों के इस्तेमाल से कैंसर , थायराइड, ब्लड शुगर जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है. गो आधारित खेती से इस तरह की बीमारियों का खतरा भी नहीं रहेगा. बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार लगातार प्रदेश के लोगों और किसानों के हित, उनके स्वास्थ्य और समृद्धि का दिशा में काम कर रही है.