मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में इस साल प्याज की खेती करने वाले किसानों की हालत काफी खराब हो गई है. मंडी में प्याज का भाव इतना गिर गया है कि यह अब केवल 40 से 50 पैसे प्रति किलो बिक रहा है. आमतौर पर प्याज की कीमत इससे कई गुना ज्यादा होती है, लेकिन इस बार फसल के अच्छे होने के बावजूद किसानों को मुनाफा नहीं मिल रहा. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि कुछ किसानों ने रास्तों पर खड़े होकर राहगीरों को मुफ्त में प्याज बांटना शुरू कर दिया. उनका कहना है कि इतनी कम कीमत में बेचने से अच्छा है कि लोगों को फ्री में प्याज देकर पुण्य कमाया जाए.
किसानों का रोष और भाव की गिरावट
किसानों का कहना है कि इस कीमत पर प्याज बेचने से उनकी लागत तक नहीं निकल रही. पूरे साल मेहनत करने के बाद भी उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा. मंडियों में प्याज जमा होने के कारण किसानों का उत्पादन खराब होने का भी खतरा बढ़ गया है. सीहोर और आसपास के इलाकों में प्याज के दाम लगातार गिर रहे हैं, जिससे किसानों में निराशा फैल गई है. कई किसान यह मान रहे हैं कि सरकार को जल्द कदम उठाना चाहिए, नहीं तो किसान आर्थिक रूप से पूरी तरह प्रभावित होंगे.
मंडी और बाजार की स्थिति
मध्य प्रदेश की मंडियों में इस समय प्याज का भाव बेहद कम है. मंदसौर, सीहोर और भोपाल हाईवे के आसपास के इलाकों में प्याज का स्टॉक बहुत अधिक है. व्यापारी भी भाव नहीं बढ़ा पा रहे हैं क्योंकि बाजार में मांग कम है. किसानों का कहना है कि उन्हें लागत के हिसाब से सही मूल्य नहीं मिल रहा और फसल खराब होने का डर सताने लगा है. ऐसे में कई किसान अपनी प्याज खेत में छोड़ने या मुफ्त में देने का निर्णय ले रहे हैं.
सरकार और समाधान की आवश्यकता
किसानों की मुश्किलें देखते हुए विशेषज्ञ और ग्रामीण दोनों ही सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि अगर उन्हें उचित मूल्य और समर्थन नहीं मिला तो प्याज की खेती छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि उत्पादन का सही मूल्य सुनिश्चित करना और मंडियों में उचित दाम तय करना बेहद जरूरी है. इसके साथ ही किसानों को अपनी फसल का बीमा और सही भंडारण की जानकारी देना भी महत्वपूर्ण है, ताकि वे नुकसान से बच सकें.
मध्य प्रदेश के किसानों की हालत इस समय चिंताजनक है. प्याज की कीमतों में गिरावट से न केवल उनकी आमदनी प्रभावित हो रही है, बल्कि उन्हें मानसिक और आर्थिक दबाव का सामना भी करना पड़ रहा है. अगर सरकार जल्द कदम नहीं उठाती है तो प्याज उत्पादन और किसान दोनों ही संकट में फंस सकते हैं.