किसानों को उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) लगातार रिसर्च करता रहता है. ICAR के रांची केंद्र के वैज्ञानिकों ने कई सालों की मेहनत के बाद सोयाबीन की खास किस्म विकसित करने में कामयाबी हासिल की है, जो किसानों के लिए किसी कमाई वाली बन गई है. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि इस खआस किस्मत देश के 12 राज्यों में किसान उगा रहे हैं और लागत की तुलना में दोगुना मुनाफा हासिल कर रहे हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के रिसर्च कॉम्प्लेक्स रांची के कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की खास किस्म ‘स्वर्ण वसुंधरा’ को विकसित किया है, जो किसानों को बढ़िया उत्पादन दे रही है और किसानों की लागत की तुलना में दोगुनी कमाई हो रही है. रांची केंद्र के हॉर्टिकल्चर एंड वेजिटेबल साइंस के प्रिंसिपल साइंटिस्ट आर एस पान ने पीटीआई को बताया कि ये बेहतर वैरायटी रांची के प्लांडू में मौजूद सेंटर में लगभग तीन दशकों से हो रही लगातार रिसर्च का नतीजा है.
बीज बनाने के लिए ताइवान से मंगाया गया था जर्मप्लाज्म
प्रमुख कृषि वैज्ञानिक आर एस पान कहा कि सोयाबीन की खास किस्म स्वर्ण वसुंधरा को तैयार करने के लिए इसका जर्मप्लाज्म वर्ल्ड वेजिटेबल सेंटर ताइवान से लाया गया था और इसे नई वैराइटी के रूप में यहां विकसित किया गया है. उन्होंने कहा कि यह किस्म अपने स्वाद और हाई न्यूट्रिशनल वैल्यू के चलते भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर पहचान बना रही है.
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14 राज्यों में सोयाबीन की नई किस्म की खेती कर रहे किसान
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि हॉर्टिकल्चरल फसलों के लिए फसल स्टैंडर्ड, नोटिफिकेशन और वैरायटी जारी करने पर सेंट्रल सब कमेटी की सिफारिश के आधार पर यह वैरायटी अब 14 राज्यों के किसानों को सप्लाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड, आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों ने सोयाबीन की इस वैरायटी को अच्छा रिस्पॉन्स दिया.
क्यों खास है सोयाबीन स्वर्ण वसुंधरा किस्म
सोयाबीन की इस वैरायटी को बनाने का मुख्य मकसद सभी उम्र के लोगों में पोषक तत्वों की कमी को दूर करना है. यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, जरूरी फैटी एसिड और मिनरल का सोर्स है. कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि इसमें आइसोफ्लेवोन्स भी होते हैं, जो एंटी कैंसर कंपाउंड हैं. इसके साथ यह ऑस्टियोपोरोसिस (घुटने का दर्द) और दिल से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों के लिए फायदेमंद हैं.
60 हजार रुपये खेती लागत आई और कमाई 1.50 लाख रुपये हुई
रांची जिले के नागरी के किसान बड़े पैमाने पर सोयाबीन स्वर्ण वसुंधरा किस्म की खेती कर रहे हैं. किसान अनिल महतो ने 50 डेसिमल जमीन पर स्वर्ण वसुंधरा की खेती की है. उन्होंने कहा कि मैंने 10 किलो बीज 1,500 रुपये में खरीदा और मेरा खर्च था और जुताई पर 5,000 रुपये, क्यारी तैयार करने पर 5,000 रुपये, मल्चिंग पर 6,500 रुपये, खाद और फर्टिलाइजर पर 2,500 रुपये, और मजदूरी (80 लोग) पर 20,000 रुपये. कुल मिलाकर मैंने लगभग 60,000 रुपये इन्वेस्ट किए. बाजार में उपज बेचने के बाद मैंने 1,50,000 रुपये कमाए और 90,000 रुपये का नेट प्रॉफिट हासिल किया. यानी किसान ने डेढ़ गुना मुनाफा कमाया है.
किसान रूपेश ने लागत हटाकर 80 हजार का मुनाफा कमाया
रांची जिले के किसान रूपेश पाहन ने कहा कि इस साल मई में मैंने 63 डेसिमल (0.63 एकड़) जमीन पर स्वर्ण वसुंधरा की खेती की. बीज की क्वालिटी बहुत अच्छी है. मैं पिछले दो सालों से यह वैरायटी उगा रहा हूं. एक सीजन में मैने लागत हटाकर 80,000 का नेट प्रॉफिट कमाया है. मेरे खेत में सोयाबीन की कुल पैदावार लगभग 15 क्विंटल थी. वहीं, दोनों किसानों ने कहा कि अगर समय पर खेत तैयार कर बुवाई, सिंचाई और उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाए तो यह लागत से तीन गुना तक मुनाफा देने में सक्षम है.