सर्दियों में जब भारत के कई शहर 3–4 डिग्री सेल्सियस पर कांप उठते हैं, लोग हीटर के पास बैठकर ठंड से बचने की कोशिश करते हैं. लेकिन सोचिए, दुनिया में एक ऐसा शहर भी है जहां तापमान माइनस 50 डिग्री तक पहुंच जाता है. इतना कि सांस भी जमने लगे और पलकें भी बर्फ की तरह कड़ी हो जाएं. यह जगह किसी कहानी का हिस्सा नहीं, बल्कि वास्तविक दुनिया में मौजूद एक शहर है रूस का याकुत्स्क.
साइबेरिया के इस शहर को दुनिया का सबसे ठंडा आबाद शहर कहा जाता है. यहां की ठंड इतनी गहरी और डरावनी होती है कि नए लोग इसे झेल ही नहीं पाते, लेकिन स्थानीय लोग अपनी अनोखी शैली के साथ इसे जीवन का एक सामान्य हिस्सा मानकर जीते हैं.
कहां है यह शहर? और यहां ठंड इतनी भयानक क्यों है?
याकुत्स्क रूस की राजधानी मॉस्को से लगभग 5000 किलोमीटर दूर, साइबेरिया के पूर्वी भाग में बसा है. साइबेरिया वैसे भी अपनी कड़ाके की ठंड के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां जमीन का बड़ा हिस्सा सालों तक जमी रहती है, जिसे ‘पर्माफ्रॉस्ट’ कहा जाता है.
इसी वजह से शहर में तापमान सर्दियों में लगातार माइनस 40 से नीचे रहता है और कई दिनों तक माइनस 50 डिग्री भी पार कर जाता है. इस मौसम में ऐसा लगता है कि पूरा शहर बर्फ की मोटी परत से ढक गया हो.
यहां रहना कैसा होता है?
याकुत्स्क में सर्दी के दौरान सबसे बड़ी चुनौती है जीवित रहना. लोग यहां ठंड से लड़ने के लिए परत-दर-परत कपड़े पहनते हैं. मोटे बूट, ऊनी दस्ताने, कान ढकने वाली टोपी और चेहरे को कपड़े से लपेटकर ही लोग बाहर निकल पाते हैं.
यहां के लोग मजाक में कहते हैं—“यहां ठंड नहीं लगती… शरीर सुन्न हो जाता है.”
बर्फीली हवा चेहरे पर लगते ही ऐसा लगता है मानो त्वचा चुभ रही हो. सांस लेते समय हवा इतनी ठंडी होती है कि कई सेकंड बाद ही महसूस होती है. यही वजह है कि लोग चेहरे को ढंककर ही बाहर निकलते हैं.
यहां की ठंड के मजेदार और चौंकाने वाले किस्से
याकुत्स्क की ठंड से जुड़ी कई बातें सुनकर लोग हैरान रह जाते हैं. यहां मछली बेचने वालों को फ्रिज की जरूरत ही नहीं पड़ती. बाजारों में मछलियां खुले में ही रख दी जाती हैं. बाहर का तापमान ही उन्हें फ्रीज कर देता है.
इतना ही नहीं लोगों के कपड़े बर्फ की तरह सख्त हो जाते हैं. अगर कोई कपड़ा गीला रह जाए, तो कुछ ही मिनटों में वह लकड़ी की तरह कड़ा हो जाता है.
सबसे चौकाने वाली बात है कि यहां कारें हमेशा चालू रखनी पड़ती हैं. यदि कार को बंद कर दिया जाए तो इंजन जम सकता है. इसलिए लोग दुकानों और ऑफिस के बाहर भी गाड़ियां चालू छोड़कर जाते हैं.
जनवरी- सबसे खतरनाक महीना
यहां जनवरी का महीना लोगों के लिए सबसे कठिन होता है. पूरा शहर धुंध जैसे बर्फीले कोहरे से ढका रहता है. पेड़ों पर बर्फ की मोटी परत जमा होती है और सड़कें भी शीशे की तरह चमकने लगती हैं.
फिर भी लोग यहां क्यों रहते हैं?
याकुत्स्क प्राकृतिक संसाधनों से भरा पड़ा है. यहां हीरे, सोना और खनिजों का बड़ा भंडार है. इसी वजह से यह शहर रोजगार और खनन उद्योग का बड़ा केंद्र है. इसके अलावा यहां की संस्कृति, भाषा और जीवनशैली बेहद अनोखी है. लोग अपनी परंपराओं को संजोए रखते हैं और हर कठिन मौसम का सामना मिलकर करते हैं.
याकुत्स्क हमें यह सिखाता है कि प्रकृति कितनी शक्तिशाली हो सकती है और इंसान कितनी भी कठिन परिस्थितियों में अपने आपको ढाल सकता है. दुनिया का सबसे ठंडा शहर सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि धैर्य और साहस का प्रतीक है.