गर्मियां आते ही बाजारों में आम की महक और लोगों के बीच बेस्ट आम की चर्चा शुरू हो जाती है. देश के हर राज्य के आम अपनी खासियत और स्वाद के लिए मशहूर हैं. दशहरी, अल्फांसो, लंगड़ा, चौंसा जैसे नाम तो हर किसी की जुबान पर होते हैं, लेकिन क्या आपने कभी गोवा के अनोखे मंकुराद आम के बारे में सुना है?
आमतौर पर गोवा का नाम सुनते ही लोग समुद्र, सूरज और छुट्टियों की कल्पना करने लगते हैं, लेकिन गोवा सिर्फ पर्यटन तक सीमित नहीं है. यहां का मंकुराद आम अपनी अनूठी खुशबू, स्वाद और रसीलेपन के लिए जाना जाता है. यह स्थानीय किस्म न केवल गोवा के बाजारों में लोकप्रिय है, बल्कि आम प्रेमियों के बीच भी बेहद पसंद किया जाता है. वहीं इस आम को साल 2023 में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग भी प्राप्त हुआ है.
गोवा का पारंपरिक स्वाद
मंकुराद’ आम गोवा में पीढ़ियों से उगाया जा रहा है और यह वहां की संस्कृति और खानपान का अहम हिस्सा भी माना जाता है. इस किस्म के एक आम का औसतन वजन करीब 200 से 250 ग्राम होता है. इस आम के छोटे और चिपटे गुठली होने के साथ इसकी मिठास और खुशबू का बेहतरीन संतुलन इसे और भी खास बनाता है.
नाम का इतिहास भी है दिलचस्प
इस आम का नाम सुनकर शायद आपको अजीब लगे, लेकिन इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. यह बात तब की है जब पुर्तगालियों का शासन गोवा में था, तब उन्होंने इसे ‘Malcorado’ नाम दिया गया था, जिसका मतलब होता है, खराब रंग वाला. लेकिन गोवा की जलवायु ने इस आम को ऐसा निखारा कि समय के साथ यह आम “मंकुराद” नाम से घर-घर में पहचाना जाने लगा. गोवा में मुख्य भाषा कोंकणी में भी इसे मंकुराद कहा जाता है. हालांकि यह आम मूलतः गोवा का है, लेकिन महाराष्ट्र के वेंगुर्ला और मालवण इलाके, और कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में भी इसकी खेती होती है. इसके कई लोकल वैरायटी भी हैं. जैसे की कार्डोज़ो मंकुराद, कोस्ता मंकुराद, गवस मंकुराद और अमराल मंकुराद.
कब मिला जीआई टैग
गोवा के मंकुराद आम को 1 अगस्त 2023 में जीआई टैग मिला है. इसके साथ ही बता दें की यह गोवा का पहला आम और कुल मिलाकर आठवां उत्पाद है जिसे जीआई टैग प्राप्त हुआ है. इसका मतलब यह है कि अब मंकुराद आम के नाम का उपयोग केवल गोवा में उगाए गए आमों के लिए ही किया जा सकता है.