खाद की कालाबाजारी पर सरकार का बड़ा एक्शन, देशभर में छापेमारी तेज, 202 लाइसेंस रद्द
खाद की सप्लाई चेन में गड़बड़ी पकड़ने के लिए केंद्र और राज्यों की टीमों ने मिलकर अब तक देशभर में 3.17 लाख से अधिक निरीक्षण और छापेमार कार्रवाई की है. यह आंकड़ा पिछले सालों की तुलना में कई गुना अधिक है. केवल जमाखोरी से जुड़े मामलों में ही 667 नोटिस भेजे गए, 202 लाइसेंस रद्द हुए और 37 एफआईआर दर्ज की गई.
Fertilizer Raids: देश के किसानों के लिए खाद की उपलब्धता हमेशा से एक अहम मुद्दा रहा है. खेती का हर मौसम, खासकर खरीफ और रबी, खाद की मांग को तेजी से बढ़ा देता है. ऐसे समय में अगर बाजार में कमी महसूस होने लगे या कीमतें अचानक बढ़ जाएं, तो इसका सबसे ज्यादा असर छोटे किसानों पर पड़ता है. इसी चिंता को दूर करने और खाद के वितरण तंत्र को साफ-सुथरा बनाने के लिए केंद्र सरकार ने इस बार बेहद सख्त कदम उठाए हैं. खाद और कृषि विभाग ने मिलकर देशभर में बड़े पैमाने पर छापेमारी की है, ताकि जमाखोरी, कालाबाजारी और गलत इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सके.
सरकार का कहना है कि खाद किसानों के लिए जीवनरेखा है, इसलिए इसकी आपूर्ति में किसी भी तरह की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
रबी सीजन की बढ़ती मांग और सरकार की तैयारी
इस समय देश में रबी की बुवाई चल रही है, जिसके लिए खाद की मांग साल में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच जाती है. इस बार रबी सीजन (अक्टूबर से मार्च) में कुल 378 लाख टन खाद की जरूरत का अनुमान लगाया गया है. इसमें यूरिया, डीएपी, एमओपी, जटिल खाद और SSP शामिल हैं.
सरकार ने बताया कि सीजन की शुरुआत 1 अक्टूबर को जो स्टॉक मौजूद था, उसका आंकड़ा मांग के मुकाबले कम था, इसलिए आपूर्ति में किसी भी तरह की रुकावट न आए, इसके लिए निगरानी तेज करनी पड़ी.
देशभर में छापेमारी की बौछार, रिकॉर्ड स्तर पर जांच
खाद की सप्लाई चेन में गड़बड़ी पकड़ने के लिए केंद्र और राज्यों की टीमों ने मिलकर अब तक देशभर में 3.17 लाख से अधिक निरीक्षण और छापेमार कार्रवाई की है. यह आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में कई गुना अधिक है.
इन कार्रवाइयों के दौरान अधिकारियों ने हजारों लाइसेंसधारकों की दुकानों, गोदामों और निजी स्टॉक प्वॉइंट्स की जांच की. नतीजा यह हुआ कि अब तक 5,119 लोगों को कालाबाजारी के आरोप में नोटिस भेजे गए हैं. इसके साथ ही 3,645 डीलरों और रिटेलर्स के लाइसेंस भी रद्द या निलंबित किए जा चुके हैं. कई मामलों में पुलिस ने 418 एफआईआर भी दर्ज की हैं.
जमाखोरी और गलत इस्तेमाल पर सीधी कार्रवाई
सरकार का कहना है कि खाद की कमी का सबसे बड़ा कारण जमाखोरी और उसे गलत जगह बेचने की कोशिश है. कुछ व्यापारी खेती के लिए बनी खाद को गैर-कृषि इस्तेमाल जैसे उद्योग या अन्य कामों के लिए बेच देते हैं, जिससे किसानों के हिस्से का स्टॉक बाजार से गायब हो जाता है.
इस बार ऐसे मामलों पर सबसे ज्यादा सख्ती दिखाई गई है. केवल जमाखोरी से जुड़े मामलों में ही 667 नोटिस भेजे गए, 202 लाइसेंस रद्द हुए और 37 एफआईआर दर्ज की गई. गैर-कृषि उपयोग में खाद बेचने वालों के खिलाफ 2,991 नोटिस और 92 एफआईआर दर्ज हुईं. इससे बाजार में कृत्रिम कमी बनाने वालों पर बड़ा असर पड़ा है.
कई राज्यों ने तेजी से कार्रवाई की, महाराष्ट्र सबसे आगे
छापेमारी और निरीक्षण अभियान में कई राज्य आगे रहे. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 42,566 छापे मारे गए और हजार से अधिक लाइसेंस रद्द किए गए. राजस्थान में 11,253 निरीक्षण हुए, जबकि बिहार में करीब 14,000 जांच हुईं. उत्तर प्रदेश भी पीछे नहीं रहा यहां 28,000 से अधिक निरीक्षण किए गए और 157 एफआईआर दर्ज की गईं. सरकार का दावा है कि इन कार्रवाइयों से कृत्रिम कमी और कीमतों में हेरफेर करने वालों की कोशिशें नाकाम हुईं.
घटिया खाद बेचने वालों पर भी कार्रवाई तेज
सिर्फ जमाखोरी ही नहीं, बल्कि घटिया खाद बेचने वालों पर भी नजर रखी गई. रिकॉर्ड के मुताबिक अब तक 3,544 नोटिस और 1,316 लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं, जबकि 60 मामलों में एफआईआर हुई है. इससे किसानों का भरोसा कायम रखने में मदद मिली है.
खाद विभाग ने लोगों से की अपील
केंद्र सरकार का कहना है कि खाद की आपूर्ति को सुरक्षित रखना उसकी प्राथमिकता है, और यह तभी संभव है जब किसान और आम नागरिक भी सतर्क रहें. अधिकारियों ने अपील की है कि कोई भी संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे तो इसकी जानकारी तुरंत संबंधित विभाग को दी जाए.
सरकार का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी, ताकि आने वाले सीजन में भी किसानों को समय पर खाद मिल सके और खेती प्रभावित न हो.