देश में 40 फीसदी खेतों में पूरी हुई खरीफ बुवाई, जानिए किन फसलों में दिखी सबसे ज्यादा तेजी
मानसून की इस मेहरबानी ने बुवाई को रफ्तार दी है. जून 1 से अब तक कुल वर्षा 254 मिमी दर्ज की गई है, जो सामान्य से 15 फीसदी अधिक है. इससे मिट्टी में नमी बनी हुई है और जलाशयों का स्तर भी सुधरा है.
भारत में खरीफ फसलों की बुवाई अब रफ्तार पकड़ चुकी है. जुलाई की शुरुआत तक देश में करीब 40 फीसदी सामान्य क्षेत्र में खेती का काम पूरा हो गया है. यह आंकड़ा भारतीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किया गया, जिसमें बताया गया कि इस बार की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 11.1 फीसदी अधिक है. इस समय तक कुल 437.43 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें बोई जा चुकी हैं, जबकि पिछले साल इसी समय तक यह आंकड़ा 393.77 लाख हेक्टेयर था.
मानसून ने पकड़ी रफ्तार, खेती को मिली राहत
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार 1 से 7 जुलाई के बीच देशभर में औसतन 74 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 31 फीसदी अधिक है. मानसून की इस मेहरबानी ने बुवाई को रफ्तार दी है. जून 1 से अब तक कुल वर्षा 254 मिमी दर्ज की गई है, जो सामान्य से 15 फीसदी अधिक है. इससे मिट्टी में नमी बनी हुई है और जलाशयों का स्तर भी सुधरा है.
धान और दालों की बुवाई में अच्छी बढ़त
धान की बुवाई इस बार 69.3 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो पिछले साल के 64.52 लाख हेक्टेयर से 7.4 फीसदी अधिक है. वहीं, दालों की बुवाई में 35.2 फीसदी की भारी बढ़त देखी गई है. इस सीजन में अब तक 42.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दालों की खेती हो चुकी है, जो पिछले साल 31.48 लाख हेक्टेयर थी.
अरहर की बुवाई में गिरावट, मूंग-उड़द में तेजी
दालों की बात करें तो इस बार मूंग (हरी मटर) की बुवाई 16.58 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के मुकाबले दो गुनी से भी ज्यादा है (6.73 लाख हेक्टेयर). उड़द की बुवाई भी थोड़ी बढ़कर 5.27 लाख हेक्टेयर पहुंची है. हालांकि, अरहर की बुवाई में गिरावट आई है, यह इस बार 16.47 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल 18.52 लाख हेक्टेयर थी यानी 11.1 फीसदी कम.
तिलहन फसलों की बुवाई में भी दिखा सुधार
तिलहन फसलों की बात करें तो यह क्षेत्र भी अब तेजी पकड़ चुका है. कुल तिलहन बुवाई 108.21 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो पिछले साल के 94.9 लाख हेक्टेयर से 14 फीसदी अधिक है. इसमें सबसे अहम है सोयाबीन, जिसकी बुवाई इस बार 79.04 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल 75.46 लाख हेक्टेयर थी. मूंगफली (groundnut) की बुवाई 17.73 से बढ़कर 26.74 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. सूरजमुखी (sunflower) का क्षेत्र भी थोड़ा बढ़ा है- 0.46 लाख हेक्टेयर.
पोषक अनाजों की बुवाई में 21 फीसदी की तेजी
मोटे अनाज (coarse cereals) की खेती भी इस बार मजबूत हुई है. कुल 77.18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इनकी बुवाई हुई है, जो पिछले साल 63.79 लाख हेक्टेयर थी. इसमें बाजरा (millet) 16.78 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 30.82 लाख हेक्टेयर, ज्वार (sorghum) 4.64 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 5.54 लाख हेक्टेयर हुआ है. हालांकि, मक्का (maize) की बुवाई थोड़ी घटकर 39.35 लाख हेक्टेयर रह गई है, जबकि पिछले साल 40.21 लाख हेक्टेयर थी.
कपास और गन्ने की स्थिति
कपास (cotton) की बुवाई मामूली बढ़कर 79.54 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि पिछले साल 78.58 लाख हेक्टेयर थी. वहीं जूट और मेस्ता की बुवाई थोड़ी घटकर 5.47 लाख हेक्टेयर रह गई है. गन्ने (sugarcane) की बुवाई अभी तक 55.16 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग समान है.
किसानों में बढ़ा आत्मविश्वास
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, IPL Biologicals के प्रेसिडेंट और CEO हर्षवर्धन भगचंडका ने कहा कि इस बार मानसून के सकारात्मक रुझान और जलाशयों के उच्च स्तर ने खरीफ बुवाई को गति दी है. साथ ही, किसान अब ज्यादा जैविक और पुनर्योज्य खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. वे मिट्टी की सेहत, फसल की ताकत और दीर्घकालीन उपज पर ध्यान दे रहे हैं.