मानसून की रफ्तार ने न सिर्फ मौसम को सुहाना बना दिया है, बल्कि देश के बड़े जलाशयों में भी राहत का पानी भरना शुरू हो गया है. अब तक भारत के 161 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर 40 फीसदी के पार पहुंच चुका है, जो इस समय के लिए एक उम्मीद जगाने वाली खबर है. दक्षिण-पश्चिम मानसून की 12 फीसदी अधिक बारिश ने यह बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई है.
पांच जलाशय पूरी तरह लबालब, दक्षिण भारत सबसे आगे
केंद्रीय जल आयोग (CWC) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश के कुल 182.444 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) भंडारण क्षमता वाले जलाशयों में फिलहाल 78.381 BCM पानी भर चुका है. अच्छी बात यह है कि पांच जलाशय पूरी तरह भर चुके हैं, और दक्षिण भारत के कृष्णा राजा सागर और मेट्टूर (स्टेनली) डैम भी लगभग फुल हो चुके हैं.
खासकर तमिलनाडु में स्थिति सबसे बेहतर है, जहां जलाशयों में 91 फीसदी तक पानी भर गया है. मेट्टूर और शोलायार डैम जैसे बड़े बांध लबालब हो चुके हैं, जिससे राज्य में सांभा धान (सांभर) की खेती को नई जान मिली है.
पश्चिम भारत में भी भरे डैम, गोवा का जलाशय 100 फीसदी भर चुका
पश्चिम भारत में स्थित 50 जलाशयों में औसतन 45 फीसदी पानी भर चुका है. महाराष्ट्र के डैम 53 फीसदी तक भर गए हैं जबकि गुजरात में ये आंकड़ा 35 फीसदी के करीब है. गोवा का इकलौता जलाशय पूरी तरह भर चुका है, जो वहां के किसानों और ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत की बात है.
उत्तर भारत में तेजी से सुधार, राजस्थान सबसे आगे
उत्तर भारत के 11 प्रमुख जलाशयों में भी पानी का स्तर इस हफ्ते तेजी से बढ़कर 37.27 फीसदी तक पहुंच गया है. खास बात यह है कि राजस्थान के डैम 60 फीसदी तक भर चुके हैं, जबकि हिमाचल में 28 फीसदी और पंजाब में लगभग 35 फीसदी जल भंडारण हुआ है. यह संकेत दे रहा है कि आने वाले हफ्तों में यह क्षेत्र भी और बेहतर स्थिति में आ सकते हैं.
मध्य भारत में धीमा लेकिन स्थिर सुधार
मध्य भारत के 28 जलाशयों में पानी का औसत स्तर 33 फीसदी तक पहुंच गया है. मध्य प्रदेश में यह 36 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 30 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 27 फीसदी और उत्तराखंड में 21.5 फीसदी है. हालांकि यहां गति थोड़ी धीमी है, लेकिन मानसून के सक्रिय रहने से सुधार की संभावना बनी हुई है.
पूर्वोत्तर और बंगाल में तेजी से भरते जलाशय
पूर्वी भारत के 27 जलाशयों में पानी का स्तर 39 फीसदी तक पहुंच चुका है. सबसे ज्यादा सुधार पश्चिम बंगाल (63 फीसदी) और असम (60 फीसदी) में देखा गया है. इसके अलावा मिजोरम, त्रिपुरा और झारखंड में भी 50 फीसदी से अधिक भंडारण हो चुका है, जो पूर्वोत्तर राज्यों के लिए खुशखबरी है.
खरीफ फसलों को मिलेगा सहारा
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, जुलाई में देश को सामान्य से 106 फीसदी बारिश मिल सकती है. इसका मतलब है कि बारिश का यह दौर और मजबूत होगा और जलाशयों का जलस्तर और बढ़ेगा. इससे खरीफ की फसलों जैसे धान, मक्का, अरहर आदि की खेती को नई ऊर्जा मिलेगी.