गेम चेंजर साबित हो सकती हैं जीनोम-एडिटेड धान की किस्में, 25 फीसदी तक ज्यादा होगी पैदावार
केंद्र सरकार ने DRR धान 100 और Pusa DST Rice 1 जैसी जीनोम-एडिटेड धान की किस्मों को टिकाऊ खेती के लिए गेम चेंजर बताया है. ये किस्में कम उर्वरक, सिंचाई और कठिन हालात में भी अच्छी उपज देती हैं. सरकार 14 राज्यों में इनका प्रसार कर रही है.
केंद्र सरकार ने कहा है कि जीनोम-एडिटेड धान की किस्में टिकाऊ खेती के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती हैं. मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भगीरथ चौधरी ने कहा कि जीनोम-एडिटेड धान की किस्म DRR धान 100 (कमला), सांबा महेश्वरी की तुलना में 20-25 फीसदी ज्यादा उपज देती है और 20-25 दिन पहले पक जाती है. यह किस्म 50 फीसदी कम उर्वरक में भी अच्छा उत्पादन देती है.
मंत्री ने कहा कि एक और जीनोम-एडिटेड किस्म Pusa Rice DST 1 ने समुद्री और भीतरी खारेपन के प्रति मजबूत सहनशीलता दिखाई है. मंत्री ने कहा कि ये दोनों किस्में पानी और उर्वरकों की बचत करती हैं और स्ट्रेस वाली परिस्थितियों में बेहतर उत्पादन देती हैं, जिससे ये टिकाऊ कृषि में बड़ा बदलाव ला सकती हैं. भगीरथ चौधरी ने कहा कि नई धान की किस्में जलवायु के अनुसार ढलने वाली (climate resilient) हैं. उनके मुताबिक, DRR धान 100 जल्दी पकने वाली किस्म है, जिससे 1-2 सिंचाई की बचत होती है और इसमें सूखे के प्रति मध्यम सहनशीलता भी देखी गई है.
इन राज्यों में होती है इसकी खेती
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, Pusa DST Rice 1 ने भीतरी इलाकों की लवणता, क्षारीय मिट्टी और समुद्री खारेपन में अच्छी उपज दी है, जो मूल किस्म से 10-30 फीसदी ज्यादा है. इन दोनों किस्मों को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लिए उपयुक्त माना गया है. एक अन्य सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के दौरान किसानों ने जो मुख्य मुद्दे उठाए, वे थे बीजों की गुणवत्ता, समय पर उपलब्धता, और जलवायु अनुकूल किस्मों के बीज, खाद और कीटनाशकों तक पहुंच.
228.37 लाख टन आम का उत्पादन
एक सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है. वर्ष 2024-25 के दूसरे अनुमान के अनुसार, भारत में 228.37 लाख टन आम का उत्पादन हुआ है, जो कि दुनियाभर के कुल उत्पादन का करीब 40-45 फीसदी है. सरकार आम की वैज्ञानिक खेती, रिसर्च, मार्केटिंग, एक्सपोर्ट और वैल्यू एडिशन पर फोकस कर रही है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने आम से जुड़ी रिसर्च और विकास के लिए विशेष संस्थान बनाए हैं, जिन्होंने व्यावसायिक खेती के लिए कई किस्में विकसित की हैं.
इस समय ICAR देशभर में 23 ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट (AICRP) केंद्र आम पर चला रहा है. इसके साथ ही, राज्य कृषि विश्वविद्यालय भी उत्पादन, फसल की कटाई के बाद प्रबंधन और वैल्यू एडिशन जैसे विषयों पर रिसर्च कर रहे हैं. सरकार ने बताया है कि देश में घरेलू खपत बढ़ने की वजह से कॉटन (कपास) का आयात भी बढ़ रहा है.
कपास उत्पादन में गिरावट
एक सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि 2014-15 के कपास सीजन में उत्पादन 386 लाख गांठ, खपत 309.44 लाख गांठ, आयात 14.39 लाख गांठ और निर्यात 57.72 लाख गांठ रहा था. वहीं 2024-25 के सीजन में उत्पादन घटकर 294.25 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जबकि खपत बढ़कर 318 लाख गांठ तक पहुंच गई है. इस साल आयात 25 लाख गांठ और निर्यात सिर्फ 18 लाख गांठ का अनुमान है. मंत्री ने कहा कि घरेलू खपत उत्पादन से ज्यादा हो गई है, यही वजह है कि कपास का आयात बढ़ रहा है और निर्यात घट रहा है.