खेती किसानी में अब परंपरागत फसलों के साथ-साथ मसाला फसलों की ओर भी किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. खासकर ऐसी फसलें जो कम पानी, कम लागत और कम मेहनत में भी अच्छी उपज दें सकें. इन्हीं में से एक है गुजरात अजवाइन-3. जिसे गुजरात के जगुदन स्थित सरदार कृषिनगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार किया है. यह किस्म भारतीय मसाला अनुसंधान परियोजना (AICRP on Spices) के अंतर्गत विकसित की गई है और इसकी खेती गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए उपयुक्त मानी गई है.
ओपन पॉलिनेटेड वैरायटी
गुजरात अजवाइन-3 एक ओपन पॉलिनेटेड वैरायटी है, जिसका मतलब है कि इसकी खेती में बीज उत्पादन की प्रक्रिया आसान होती है और किसान अपने खेत से भी बीज बचाकर अगली फसल में उपयोग कर सकते हैं. यह किस्म विशेष रूप से ड्राइ ट्रैकट्स (Dry Tracts) यानी ऐसे क्षेत्र जहां सिंचाई की उपलब्धता कम होती है. यह किस्म उन इलाकों के लिए उपयुक्त मानी गई हैं. इसलिए इस किस्म को किसानों के लिए उगाना काफी आसान होत है.
उत्पादन में जबरदस्त बढ़त
वहीं बात अगर उत्पादन की करें तो यह किस्म किसानों को औसतन 1035 किलो प्रति हेक्टेयर तक बीज उत्पादित कर सकती है, जो कि पारंपरिक किस्मों की तुलना में कई अधिक मानी जाती है. इसके पौधों में गुच्छों (umbels) की संख्या ज्यादा होती है, और हर गुच्छे में दानों की संख्या भी अधिक रहती है. यही वजह है कि इसका कुल उत्पादन बेहतर रहता है. ज्यादा दानों की संख्या की वजह से किसानों को अच्छी कमाई होने का रास्ता साफ होता है.
मोटे और भारी होते हैं दाने
गुजरात अजवाइन-3 किस्म के दाने मोटे और वजनदार होते हैं. इसके बीजों का वजन लगभग 1.15 ग्राम होता है, जो कि इसे बाजार में अच्छी कीमत दिलाने में मदद करता है. मोटे दाने मसाले के रूप में भी अधिक पसंद किए जाते हैं और प्रोसेसिंग में भी आसान माने जाते है. अजवाइन न सिर्फ रसोई का जरूरी हिस्सा है, बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी खूब डिमांड में रहती है. यह कम इनपुट में ज्यादा आउटपुट देने के साथ वाली किस्म है.