खाली हाथ लौटते-लौटते थक गए.. पुष्पराजगढ़ में किसानों का फूटा गुस्सा, विधायक भी धरने पर

मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील में डीएपी खाद की भारी किल्लत को लेकर किसानों का सब्र टूट गया. लगातार सहकारी समिति के चक्कर लगाने के बावजूद खाद नहीं मिलने पर सैकड़ों किसानों ने करौंदी तिराहा पर चक्का जाम कर दिया.

नोएडा | Updated On: 10 Jul, 2025 | 10:11 PM

मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील इन दिनों खेती से ज्यादा खाद की किल्लत को लेकर चर्चा में है. यहां के सैकड़ों किसान पिछले 15 दिनों से रोज सरकारी समिति में खाद के इंतजार में लाइन में लगते हैं, लेकिन हर बार खाली हाथ लौट जाते हैं. खेत बोने का समय निकल रहा है. लेकिन डीएपी खाद नहीं मिल रही. इसी वजह से मंगलवार को किसानों का धैर्य जवाब दे गया. आक्रोशित किसानों ने करौंदी तिराहा पर चक्का जाम कर दिया और हड़ताल पर बैठ गए. किसानों के समर्थन में कांग्रेस विधायक बुंदेलाल सिंह मोर भी धरने पर बैठ गए और बोले जब तक किसानों को खाद नहीं मिलेगा, मैं उठूंगा नहीं.

डीएपी गायब- अधिकारी दे रहे हैं तसल्ली

धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि वे पिछले 15 दिनों से रोज सहकारी समिति के चक्कर काट रहे हैं. हर दिन टोकन मिल रहा है, लेकिन खाद नहीं मिल रही. सरकारी गोदाम में डीएपी का स्टॉक खाली  है और अधिकारी कह रहे हैं फिलहाल फास्फोरस डाल लो. किसानों ने कहा कि हम मजदूरी छोड़कर खेत के लिए समय निकाल रहे हैं, लेकिन अब तो खेती ही संकट में है. खेत तैयार हैं, लेकिन बिना खाद के हम क्या बोएं?

निजी दुकानों में 2000 रुपये तक बिक रही खाद

अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी गोदाम में डीएपी की कीमत 1300 रुपये है. लेकिन प्राइवेट दुकानों में यही खाद 1600 से 2000 रुपये तक में मिल रही है. किसानों के मुताबिक लगातार नई तारीखें दी जा रही हैं. ऐसे में खेती लेट हो रही है और फसल पर असर पड़ रहा है.

खाद की मांग को लेकर सड़क पर बैठे किसान

विधायक ने भी धरने में दी हिस्सेदारी, मिला आश्वासन

किसानों की इस परेशानी को देखते हुए विधायक बुंदेलाल सिंह मोर खुद धरने में शामिल हुए और कहा कि यह सिर्फ खाद नहीं, किसानों की जिंदगी का सवाल है. धरना दोपहर तक चला, जिससे अनूपपुर–अमरकंटक मार्ग पर जाम लग गया. बाद में कृषि अधिकारी निशा सिन्हा मौके पर पहुंचीं और आश्वासन दिया कि शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक सभी फर्टिलाइजर उपलब्ध करा दिए जाएंगे. इसके बाद विधायक ने धरना समाप्त किया.

यह पहली बार नहीं है जब किसानों को खाद के लिए इस कदर संघर्ष करना पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी  में भी किसान रोज सुबह से लाइन में लगते हैं, लेकिन खाली हाथ लौटते हैं. राजस्थान के कई जिलों में भी हालात ऐसे ही हैं. अब मध्यप्रदेश के पुष्पराजगढ़ में यही संकट किसानों को सड़कों पर ले आया. इतना सब कुछ होने के बाद भी प्रशासन की लापरवाही से नाराज किसान अब भी इस उम्मीद में बैठे हैं कि कहीं से राहत मिले और उनकी फसल समय से बच सके. आखिर वो किसान है करे तो करे क्या?

Published: 10 Jul, 2025 | 09:43 PM

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