तमिलनाडु में खाद की भारी किल्लत, 500 रुपये ज्यादा रेट पर उर्वरक खरीदने को मजबूर हुए किसान
त्रिची और डेल्टा जिलों में सांबा और थलदी फसलों के लिए खाद की भारी कमी के कारण निजी डीलरों ने दाम बढ़ा दिए. कृषि विभाग ने स्टॉप सेल्स आदेश और निरीक्षण टीमों के जरिए लाइसेंस, स्टॉक और पीओएस डेटा की जांच शुरू की. करीब 4.63 लाख हेक्टेयर पर खेती होने की संभावना.
Tamil Nadu Agriculture News: तमिलनाडु के त्रिची और डेल्टा जिलों में सांबा धान की खेती के चरम समय पर खाद की भारी कमी हो गई है, जिससे निजी डीलरों ने दाम बढ़ा दिए हैं. शिकायतों के बाद प्रशासन ने ऐसे दुकानदारों पर कार्रवाई शुरू कर दी है और बिक्री पर सख्त नियम लगाए हैं. खास बात यह है कि पहली बार सितंबर में कुरुवई सीजन के दौरान भी ऐसी ही स्थिति बनी थी. वहीं, तमिलनाडु कावेरी किसानों की संघम के महासचिव पीआर पांडियन का कहना है कि किसान मजबूरी में 500 से 700 रुपये तक ज्यादा भुगतान कर रहे हैं और डीलर उन्हें अनावश्यक चीजें खरीदने का दबाव भी डाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को सिर्फ रिटेलरों ही नहीं, बल्कि थोक विक्रेताओं और निर्माताओं के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जो कीमत बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, त्रिची और आसपास के चार जिलों में करीब 2,300 खाद की दुकानें हैं, जिनमें 655 प्राथमिक कृषि सहकारी सोसायटियां और 1,600 से अधिक निजी डीलर शामिल हैं. सक्रिय निजी डीलरों की संख्या बिक्री के आधार पर बदलती रहती है. कृषि विभाग ने निजी डीलरों को सख्त चेतावनी दी है कि वे खाद को जमा करके न रखें, कृत्रिम कमी न बनाएं और एमआरपी से ज्यादा कीमत पर बिक्री न करें.
डीलर नियमों का पालन करें
वहीं, निरीक्षण टीमों को तैनात किया गया है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि डीलर नियमों का पालन करें. टीमें रिटेलरों के लाइसेंस, स्टॉक रजिस्टर और ऑनलाइन पीओएस मशीन के डेटा की तुलना वास्तविक स्टॉक से कर रही हैं. पिछले दो महीनों में कम से कम 200 निजी डीलरों को ‘स्टॉप सेल्स’ आदेश दिए गए, जिससे उनकी बिक्री अस्थायी रूप से बंद हो गई. उल्लंघनों में गलत बिलिंग, पीओएस मशीन का काम न करना, लाइसेंस या स्रोत प्रमाणपत्र (Form O) का न होना, अनरजिस्टर्ड उत्पाद बेचना और स्टॉक जमा करके कीमत बढ़ाना शामिल हैं.
4.63 लाख हेक्टेयर में खेती
कृषि और किसान कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एक ही उल्लंघन पर ‘स्टॉप सेल्स’ आदेश दिया जाता है और कई उल्लंघनों पर लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है. इस बार विभाग ने डेल्टा जिलों में सांबा और थलदी फसलों के लिए खेती की जाने वाली जमीन में बड़े पैमाने पर वृद्धि का अनुमान लगाया है. यह बढ़ोतरी कावेरी नदी से समय पर पानी की आपूर्ति और लगातार बारिश के कारण हुई है. पांच जिलों में लगभग 4.63 लाख हेक्टेयर में खेती होने की उम्मीद है, जिनमें से 3.38 लाख हेक्टेयर पर पहले ही सांबा और थलदी की बुवाई शुरू हो चुकी है.