नैनो यूरिया इस्तेमाल करने में सबसे आगे यूपी के किसान, महाराष्ट्र के किसानों ने 99 लाख बोतलें डालीं
नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसी नई तकनीक किसानों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है. यूपी और महाराष्ट्र के किसान सबसे आगे हैं. ड्रोन, जागरूकता शिविर और सरकारी अभियान से इसकी मांग बढ़ी है और लागत भी घट रही है.
आज देशभर के किसान पारंपरिक यूरिया से हटकर नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसे आधुनिक उर्वरकों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. नैनो यूरिया को कम मात्रा में इस्तेमाल करके अधिक पैदावार मिलती है, खेत की मिट्टी भी खराब नहीं होती और लागत भी घटती है. देश में सबसे ज्यादा नैनो यूरिया बोतलों का उपयोग उत्तर प्रदेश के किसानों ने किया है, जबकि महाराष्ट्र के किसानों ने अब तक करीब 99 लाख बोतलें खेतों में डाली हैं. सरकार की ओर से चल रहे प्रोत्साहन अभियान में किसानों की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है.
किसानों के बीच बढ़ता भरोसा और जागरूकता
सरकार ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसी तकनीक को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. जगह-जगह जागरूकता शिविर, किसान सम्मेलन, वेबिनार और स्थानीय भाषाओं में लघु फिल्में दिखाकर किसानों को बताया जा रहा है कि पारंपरिक यूरिया के मुकाबले नैनो यूरिया क्यों बेहतर है. पत्तों पर छिड़काव से इसका असर जल्दी होता है और मिट्टी में कम नुकसान होता है. इसी कारण किसान तेजी से इसका उपयोग करने लगे हैं.
गांव-गांव तक उपलब्धता और आसान सप्लाई
अब नैनो यूरिया और नैनो डीएपी प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (PMKSK) पर आसानी से उपलब्ध हैं ताकि किसान पास के गांव या बाजार से ही यह खरीद सकें. उर्वरक विभाग ने इसे नियमित मासिक सप्लाई योजना में भी शामिल किया है. इससे देश के सभी राज्यों में इसकी सप्लाई आसान हो पाई है. कंपनियां भी इसे खुदरा दुकानों तक पहुंचाने के लिए तेजी से काम कर रही हैं.
नई तकनीक: ड्रोन और बैटरी स्प्रेयर से छिड़काव
किसान ड्रोन का उपयोग भी बढ़ रहा है. पत्तियों पर नैनो यूरिया का छिड़काव अब ड्रोन या बैटरी चलित स्प्रेयर से किया जा रहा है. इससे समय और मेहनत दोनों बचते हैं. सरकार ग्राम स्तर के उद्यमियों को ट्रेनिंग देकर यह ड्रोन सेवा शुरू करवा रही है ताकि किसान किराए पर छिड़काव करा सकें. इससे छोटे किसानों को भी आधुनिक तकनीक का लाभ मिलने लगा है.
नैनो डीएपी और नैनो यूरिया प्लस पर विशेष अभियान
उर्वरक विभाग ने पूरे देश के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में डेमो प्लॉट बनाकर किसानों को नैनो डीएपी के उपयोग के फायदे दिखाए हैं. देश के 100 जिलों में नैनो यूरिया प्लस के लिए भी बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया गया है. इन प्रदर्शनों में किसानों को खुद खेत पर इसका असर दिखाया जाता है ताकि वे आसानी से अपनाने के लिए प्रेरित हो सकें.
रिकॉर्ड बिक्री और देश भर में तेजी से बढ़ती मांग
क्रमांक | राज्य का नाम | नैनो यूरिया | नैनो डीएपी |
---|---|---|---|
1 | उत्तर प्रदेश | 136.390 | 30.56 |
2 | महाराष्ट्र | 99.094 | 51.01 |
3 | पंजाब | 94.331 | 9.84 |
4 | गुजरात | 86.653 | 14.41 |
5 | राजस्थान | 86.421 | 21.09 |
6 | मध्य प्रदेश | 85.441 | 27.80 |
7 | पश्चिम बंगाल | 77.589 | 21.62 |
8 | बिहार | 70.068 | 8.81 |
9 | कर्नाटक | 60.255 | 25.61 |
10 | हरयाणा | 49.592 | 3.98 |
11 | तमिलनाडु | 36.192 | 7.50 |
12 | उत्तराखंड | 33.890 | 17.19 |
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2021 से जुलाई 2025 तक देश भर में करोड़ों बोतलों की बिक्री हो चुकी है. यूपी के किसानों ने सबसे ज्यादा उपयोग किया है और महाराष्ट्र के किसानों ने अब तक लगभग 99 लाख बोतलें डाली हैं, जिससे राज्य दूसरे नंबर पर रहा. इससे पता चलता है कि किसान न सिर्फ जागरूक हुए हैं, बल्कि अब इसे अपनी खेती का स्थायी हिस्सा बना रहे हैं. नैनो यूरिया से लागत कम होती है, फसल अधिक होती है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है. यही कारण है कि यह आधुनिक कृषि का भविष्य बनता जा रहा है.
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