प्याज बेचकर बाजी मार रहे पाकिस्तान और चीन, भारत हुआ पीछे- जानिए कारण

ईरान और इस्राइल के बीच तनाव के चलते गल्फ देशों में प्याज की मांग बढ़ गई थी, लेकिन युद्धविराम के बाद स्थिति सामान्य हो गई. इससे भारतीय प्याज की मांग में आई थोड़ी-बहुत तेजी भी थम गई.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 27 Jun, 2025 | 08:44 PM

प्याज ऐसा उत्पाद है, जिसकी मांग दुनिया भर में बनी रहती है. भारत लंबे समय तक इस मांग को पूरा करता रहा, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. पाकिस्तान और चीन जैसे देश अब सस्ती दरों पर प्याज बेच रहे हैं, जिससे भारत का निर्यात पिछड़ गया है. भारतीय प्याज जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार में 330 डॉलर प्रति टन पर बिक रहा है, वहीं पाकिस्तान 170 डॉलर और चीन 250 डॉलर प्रति टन की दर से प्याज की आपूर्ति कर रहे हैं. ऐसे में विदेशी खरीदार भारत से दूरी बना रहे हैं.

पाकिस्तान को क्या मिल रहा फायदा?

पाकिस्तान को दोहरी बढ़त मिल रही है एक तो वहां की फसल अच्छी हुई है, दूसरा वहां की मुद्रा में भारी गिरावट आई है. पाकिस्तानी रुपया अब 282.94 प्रति डॉलर है, जबकि भारतीय रुपया 85.42 प्रति डॉलर के आसपास है. इसका मतलब है कि पाकिस्तान का प्याज अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को कहीं सस्ता पड़ रहा है.

बार-बार के निर्यात प्रतिबंध बने सिरदर्द

भारत सरकार ने पिछले एक साल में प्याज निर्यात को लेकर कई बार फैसले बदले हैं. कभी निर्यात शुल्क लगाया गया, कभी न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) तय किया गया, तो कभी पूरी तरह से निर्यात पर रोक लगा दी गई. इन फैसलों से विदेशी खरीदारों का भरोसा डगमगाया है. वे अब ऐसे स्रोतों से प्याज मंगवाना पसंद कर रहे हैं, जहां स्थायित्व हो.

युद्ध और फिर शांति

ईरान और इस्राइल के बीच तनाव के चलते गल्फ देशों में प्याज की मांग बढ़ गई थी, लेकिन युद्धविराम के बाद स्थिति सामान्य हो गई. इससे भारतीय प्याज की मांग में आई थोड़ी-बहुत तेजी भी थम गई.

घरेलू मंडियों में कैसा है माहौल?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार प्याज व्यापारी शंकरभाई बताते हैं कि देश की मंडियों में प्याज की भरपूर आवक हो रही है. महाराष्ट्र में इसकी औसत थोक कीमत 1,400 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है, जबकि पिछले साल यही कीमत 2,773 रुपये थी. वजह साफ है कि इस बार उत्पादन ज्यादा हुआ है. करीब 30.77 मिलियन टन प्याज का अनुमान है, जो पिछले साल से करीब 6.5 मिलियन टन अधिक है. अब सिर्फ महाराष्ट्र नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक जैसे राज्यों ने भी प्याज उत्पादन में हिस्सा लिया है.

NAFED की खरीद और बफर स्टॉक की भूमिका

सरकार ने NAFED के माध्यम से प्याज खरीदने का जिम्मा उठाया है. रबी सीजन में 4.7 लाख टन प्याज खरीदा गया, जिसकी दर 2,833 रुपये प्रति क्विंटल रही. इसके बाद प्याज को 35 रुपये प्रति किलो की दर से खुले बाजार और मोबाइल वैन के जरिए बेचा गया. इस साल भी 3 लाख टन प्याज खरीदने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 80% महाराष्ट्र से लिया जाना है. लेकिन खरीदी में देरी और मई की बारिश ने किसानों को नुकसान भी पहुंचाया है.

किसान खुश, निर्यातक परेशान

बिजनेस लाइन से बात करते हुए HPEA अध्यक्ष अजीत शाह का कहना है कि मौजूदा समय में केवल निर्यातक ही घाटे में हैं. किसान NAFED के जरिए प्याज बेचकर प्रति क्विंटल 500 रुपये का अतिरिक्त लाभ कमा रहे हैं. उपभोक्ताओं को भी प्याज 35 रुपये प्रति किलो की दर से मिल रहा है. केवल वही व्यापारी परेशानी में हैं, जो प्याज का निर्यात करते हैं.

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Published: 27 Jun, 2025 | 08:43 PM

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