गांवों में लगभर हर किसी के आंगन में आपने तोरई की बेल तो देखी ही होगी. लेकिन क्या कभी सोचा है कि यही तोरई एक दिन आपको लखपति बना सकती है? जी हां, वही तोरई जिसे हम रोज की सब्जी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, असल में एक कीमती खजाना है, खासकर तब, जब यह ‘लूफा’ बन जाती है.
लूफा क्या है, और क्यों बन गया है ट्रेंड?
लूफा एक ऐसा प्राकृतिक स्पंज होता है जो सूखी हुई तोरई से बनता है. पहले लोग इसे नहाने और बर्तन साफ करने के लिए इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब यह एक इको-फ्रेंडली ट्रेंड बन गया है. प्लास्टिक स्क्रबर की जगह अब लोग लूफा को पसंद कर रहे हैं क्योंकि यह जैविक होता है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता.
कैसे बनाएं लूफा?
जलवायु और मिट्टी- इसकी खेती के लिए गर्म और नमी वाली जलवायु बेहतर मानी जाती है. तोरई दोमट मिट्टी में अच्छी तरह बढ़ती है.
बुवाई का समय- तोरई की बुवाई मार्च से जून तक करनी चाहिए. इसके लिए बीज को जमीन में 2-3 सेंटीमीटर गहरे में बोए.
सहारा और देखभाल- चूंकि यह बेल होती है, इसलिए इसे चढ़ाने के लिए सहारा देना जरूरी होता है. इसके साथ ही जैविक खाद और नियमित सिंचाई से बेलें हरी-भरी और मजबूत बनती हैं.
कटाई और प्रोसेसिंग- जब तोरई पूरी तरह सूख जाए, तब उसे तोड़कर छीलें और फिर अच्छी तरह धूप में सुखाएं. यही सूखी तोरई ही आगे चलकर लूफा बनती है.
कैसे करें लूफा से कमाई?
बढ़ती मांग का फायदा उठाएं
देश ही नहीं, विदेशों में भी अब प्राकृतिक चीजों की मांग तेजी से बढ़ रही है. एक लूफा की कीमत 50 रुपये से लेकर 2,000 रुपये तक जा सकती है, यह सब कुछ उसकी पैकेजिंग और ब्रांड पर निर्भर करता है.
पैकेजिंग और ब्रांडिंग से बढ़ाएं वैल्यू
अगर आप इसे सिर्फ कच्चे रूप में नहीं, बल्कि सुंदर पैकेजिंग और ब्रांडिंग के साथ बेचते हैं, जैसे बॉडी स्पॉन्ज, बाथ गिफ्ट सेट या ब्यूटी स्क्रबर तो इसकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है.
ऑनलाइन बिक्री और निर्यात का मौका
लूफा प्रोडक्ट्स को आप ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे Amazon, Flipkart या अपने इंस्टाग्राम पेज के जरिए भी बेच सकते हैं. इसके अलावा विदेशों में ऑर्गैनिक प्रोडक्ट्स के लिए जबरदस्त मांग है.