महाराष्ट्र में फिर बारिश का दिखा तांडव, एक लाख हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद
अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर की शुरुआत तक लगातार हुई भारी बारिश ने राज्य के कई हिस्सों में धान की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया. प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में एक लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र की धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है.
Paddy Crop Damage: महाराष्ट्र के किसानों के लिए खरीफ सीजन का अंत इस बार किसी आपदा से कम नहीं रहा. अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर की शुरुआत तक लगातार हुई भारी बारिश ने राज्य के कई हिस्सों में धान की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया. प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में एक लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र की धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. सबसे ज्यादा नुकसान कोकण क्षेत्र में देखने को मिला, जिसमें सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, रायगढ़, पालघर और ठाणे जैसे जिलों के खेत और खलिहान प्रभावित हुए.
धान किसानों पर सबसे बड़ा असर
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, कोकण महाराष्ट्र का प्रमुख धान उत्पादक इलाका है. इस क्षेत्र में करीब 3.92 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल बोई जाती है. पूरे राज्य में धान की खेती का कुल क्षेत्रफल लगभग 15.91 लाख हेक्टेयर है, जो खरीफ रकबे का लगभग 10.4 प्रतिशत है. स्थानीय किसानों ने बताया कि इस बार की बारिश ने दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. कंकावली के किसान जी.एस. जाधव ने कहा, “लगातार हो रही बारिश ने लगभग हर फसल को प्रभावित किया है, लेकिन धान हमारी आर्थिक रीढ़ है. इसका नष्ट होना ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर डालेगा.”
खड़ी और कटाई की गई फसलें दोनों प्रभावित
राज्य के कृषि मंत्री दत्तात्रय भरने ने कहा कि नुकसान सिर्फ तटीय जिलों तक सीमित नहीं है, बल्कि भीतरी जिलों में भी फसलों को भारी क्षति हुई है. उन्होंने बताया कि इस बार नुकसान इसलिए अधिक हुआ क्योंकि खेतों में खड़ी फसल के साथ-साथ कटाई करके सुखाने के लिए रखी गई फसल भी बारिश और जलभराव में डूब गई. कृषि विभाग को तुरंत सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि नुकसान का सही आकलन हो और प्रभावित किसानों को जल्द मुआवजा दिया जा सके.
कीट और रोगों का बढ़ता खतरा
लंबे समय तक लगातार बारिश रहने के कारण धान की फसल पर कीट और रोगों का प्रकोप भी बढ़ गया है. किसानों ने बताया कि कई खेत तुडटुडे (प्लांट हॉपर), करपा (ब्लाइट) और शीथ ब्लाइट जैसी बीमारियों से प्रभावित हो गए हैं. पहले से कमजोर फसल अब इन रोगों के चलते और अधिक नुकसान झेल रही है.
बारिश सामान्य से 18 प्रतिशत अधिक
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल राज्य में औसतन 1,145.3 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य औसत से 117.6 प्रतिशत अधिक है. कुछ क्षेत्रों को यह अतिरिक्त बारिश लाभ पहुंचा सकती थी, लेकिन कोकण और पश्चिमी महाराष्ट्र के किसानों के लिए यह आपदा साबित हुई. पुणे, कोल्हापुर, सांगली और नासिक जैसे जिलों में भी खेतों में पानी भरने से फसलें खराब हो गई हैं.
सरकार की तैयारी और राहत प्रयास
राज्य सरकार ने नुकसान का मूल्यांकन कर किसानों के लिए राहत पैकेज तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. कृषि विभाग प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण कर मुआवजा योजना तैयार कर रहा है. किसानों का कहना है कि लगातार बदलते मौसम और असमय बारिश से कृषि पर संकट गहराता जा रहा है और इस खरीफ सीजन की तबाही उनकी सालभर की मेहनत पर भारी पड़ गई है.
महाराष्ट्र के किसानों की मेहनत और धैर्य अब सरकार और प्रशासन की योजनाओं पर निर्भर है कि वे इस आपदा का सामना कर सकें और अगले सीजन के लिए तैयार हो सकें.