बारिश, चुनाव और सस्ते आयात से काली मिर्च के दाम गिरे, त्योहारी सीजन में किसानों की चिंता बढ़ी

लगातार बारिश, चुनावी सुस्ती और सस्ते आयात ने भारतीय काली मिर्च बाजार को दबाव में ला दिया है. हालांकि व्यापारी उम्मीद कर रहे हैं कि मौसम सुधरते ही और नवरात्रि व दिवाली जैसे त्योहारों के करीब आते ही मांग में सुधार होगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 17 Sep, 2025 | 12:28 PM

Black Pepper Prices: उत्तर भारत में लगातार हो रही बारिश और बाढ़ ने काली मिर्च के कारोबार को बड़ा झटका दिया है. यह इलाका भारतीय काली मिर्च का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है, लेकिन खराब मौसम ने खरीदारों को बाजार से दूर कर दिया है. त्योहारी सीजन करीब होने के बावजूद खरीदारी में सुस्ती से बाजार में रौनक नहीं दिख रही. केरल के कोच्चि टर्मिनल मार्केट में पिछले एक हफ्ते में काली मिर्च की कीमतें लगभग 15 रुपये प्रति किलो तक गिर चुकी हैं. इस समय अनगार्बल्ड (साधारण) किस्म 686 रुपये प्रति किलो और गार्बल्ड (चुनी हुई) किस्म 706 रुपये प्रति किलो के आसपास बिक रही है.

विदेशी आयात से बढ़ी चुनौती

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, खराब मौसम के साथ-साथ विदेशों से आने वाली सस्ती काली मिर्च भी भारतीय बाजार की मुश्किलें बढ़ा रही है. खासतौर पर ब्राजील से आने वाली काली मिर्च में ज्यादा घनत्व और मोटे दाने होने के कारण थोक खरीदार उसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इससे भारतीय काली मिर्च की मांग और घट गई है. व्यापारियों के अनुसार ब्राजीलियन मिर्च की कीमत कम होने से देशी मिर्च को प्रतिस्पर्धा में टिकने में कठिनाई हो रही है.

चुनावों से थमा कारोबार

बिहार और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों ने भी बाजार पर असर डाला है. भारतीय पेपर एंड स्पाइस ट्रेड एसोसिएशन के निदेशक किशोर शामजी के मुताबिक चुनावी माहौल में व्यापारी बड़े सौदे करने से बच रहे हैं. बाढ़ और जलभराव से पहले ही प्रभावित कारोबार पर चुनावों की सुस्ती ने और दबाव डाल दिया है.

नवरात्रि में सुधार की उम्मीद

त्योहारी सीजन में आम तौर पर काली मिर्च की मांग बढ़ जाती है. अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत के साथ खरीदारों के बाजार में लौटने की उम्मीद है. व्यापारी मानते हैं कि अगर मौसम में सुधार हुआ तो किसी भी समय मांग में तेजी आ सकती है और बाजार फिर से रफ्तार पकड़ सकता है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उतार-चढ़ाव

वैश्विक स्तर पर भी काली मिर्च के दामों में अस्थिरता बनी हुई है. अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ ने अंतरराष्ट्रीय बाजार को प्रभावित किया है, जबकि कई प्रमुख उत्पादक देशों में स्टॉक पहले से कम है. फिलहाल वियतनाम में काली मिर्च का दाम 6,700 डॉलर प्रति टन, ब्राजील में 6,400 डॉलर, इंडोनेशिया और श्रीलंका में 7,400 डॉलर प्रति टन है. इसके मुकाबले भारतीय काली मिर्च लगभग 8,100 डॉलर प्रति टन पर बिक रही है, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगी साबित हो रही है. यही वजह है कि कई अमेरिकी खरीदार अपने ऑर्डर रोककर कीमतों के स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं.

किसानों और व्यापारियों के लिए कठिन समय

लगातार बारिश, चुनावी सुस्ती और सस्ते आयात ने भारतीय काली मिर्च बाजार को दबाव में ला दिया है. हालांकि व्यापारी उम्मीद कर रहे हैं कि मौसम सुधरते ही और नवरात्रिदिवाली जैसे त्योहारों के करीब आते ही मांग में सुधार होगा. अगर ऐसा हुआ तो किसानों और व्यापारियों दोनों को राहत मिलने की संभावना है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?

Side Banner

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?