Tamil Nadu News: तमिलनाडु के त्रिची जिले में फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. थिरुवेरुम्बुर ब्लॉक के कई गांवों, खासकर वेंगुर और पझंगनंकुड़ी में लगभग 500 एकड़ में उगाई गई सांबा धान की फसल सूख गई है, जिससे किसान चिंतित हैं. कृषि विभाग के विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रदूषित पानी की वजह से फसल सूख गई है. वे तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB) से जांच की सिफारिश करेंगे. ऐसे में किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है. किसानों का कहना है कि मुआवजा नहीं मिलने पर उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.
कृषि विभाग के अनुसार, लालगुडी, मन्नाचनल्लुर, अंतनल्लुर, थिरुवेरुम्बुर, मणिकंडम, मुसिरी, ठोट्टियम, थुरैयुर और पुल्लंबाड़ी ब्लॉकों में धान की खेती चल रही है. तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सुझाई गई सामान्य किस्मों में TRY-3, CO (R) 50 और CR 1009 शामिल हैं. जहां अधिकांश किसान TRY-3 और CO (R) 50 उगा रहे हैं, वहीं थिरुवेरुम्बुर ब्लॉक के किसानों ने CR 1009 उगाई, जो आम कीट और रोगों जैसे लीफ फोल्डर, स्टेम बॉरर, ब्लास्ट और शीथ रॉट से सुरक्षित मानी जाती है. लेकिन यहां 500 एकड़ में फसल को नुकसान हुआ, जबकि कोई कीट हमला नहीं हुआ.
इस वजह से फसल को पहुंचा नुकसान
कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह प्रदूषित पानी के कारण हो सकता है, हालांकि अन्य कारणों को भी नकारा नहीं जा सकता. कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), सिरुगमनी के वैज्ञानिकों ने पझंगनंकुड़ी के खेतों का निरीक्षण किया, जहां किसानों की लगभग 50 एकड़ की फसल बर्बाद हुई. जल्द ही वे संभावित कारण और उपाय सुझाएंगे. तमिल मनीला कांग्रेस (TMC) के किसान विंग के कोषाध्यक्ष वयालुर एन. राजेंद्रन ने भी किसानों के हवाले से कहा कि प्रदूषित पानी ही इसका कारण हो सकता है. उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि स्रोत की पहचान कर और आगे के प्रदूषण को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं.
जलभराव से हुई थी फसल बर्बादी
वहीं, पिछले महीने भी लगातार बारिश के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ था. खासकर नागपट्टिनम, कुड्डालोर और तंजावुर जिलों में हजारों हेक्टेयर धान की फसल पानी में डूब गई थी. इससे कटाई के लिए तैयार कुरुवई फसल और हाल ही में बोई गई सांबा फसल दोनों को नुकसान हुआ. तब किसान अपने आर्थिक नुकसान को लेकर चिंतित थे और उन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग की थी. सरकार ने किसानों को आश्वस्त किया था कि फसल नुकसान का सर्वेक्षण किया जाएगा. तब नागपट्टिनम में कृषि विभाग ने कहा था कि लगभग 2,400 हेक्टेयर तैयार कुरुवई और 2,500 हेक्टेयर सांबा फसल पानी में डूबी हुई है. एक अधिकारी ने कहा था कि इनमें से 30- 40 फीसदी फसलें गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं.