भारत और ब्रिटेन के बीच हुए नए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बाद भारत से यूके को ब्राउन राइस के निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीद है. इस समझौते के चलते भारत यूके के उच्च मूल्य वाले बाजार में अपनी हिस्सेदारी को 45 प्रतिशत से बढ़ाकर अगले कुछ वर्षों में 50 प्रतिशत से भी अधिक कर सकता है. हालांकि, इस वृद्धि का सीधा संबंध भारतीय निर्यातकों की गुणवत्ता मानकों के साथ तालमेल और यूके के सख्त Maximum Residue Limit (MRL) नियमों के पालन पर होगा.
भारत-यूके FTA से बढ़ेगा निर्यात
ब्राउन राइस, जिसे छिलका चावल भी कहते हैं, के निर्यात में भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा देश है. 2024 में भारत ने यूके को लगभग 152 मिलियन डॉलर का ब्राउन राइस निर्यात किया, जिससे यूके के ब्राउन राइस बाजार में भारत की हिस्सेदारी 45-46 प्रतिशत तक पहुंच गई. पाकिस्तान और उरुग्वे दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं.
भारत की निर्यात बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह नया FTA है, जो अब भारत पर ब्राउन राइस पर 15 प्रतिशत MFN (Most Favored Nation) टैरिफ को खत्म करता है. इससे भारतीय निर्यातकों को मूल्य प्रतिस्पर्धा में बड़ा फायदा मिलेगा, जिससे वे अन्य देशों से बेहतर स्थिति में आ जाएंगे.
गुणवत्ता मानकों की चुनौती
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, यूके और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार को आसान बनाने के लिए सैनेटरी और फाइटोसैनेटरी (SPS) नियमों को कड़ा किया जा रहा है. इसका मतलब है कि भारत को यूके के नए कड़े MRL नियमों का पालन करना होगा. यह नियम यूरोपीय संघ के समान हैं और इससे पहले, ब्रेक्जिट के बाद यूके ने कोडेक्स मानकों को अपनाया था, जो थोड़े उदार थे. भारतीय किसानों और निर्यातकों को अब गुणवत्ता में सुधार कर इन नियमों का सख्ती से पालन करना होगा, तभी निर्यात में वृद्धि हो सकेगी.
भारत का बढ़ता कृषि निर्यात
वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का यूके को कृषि निर्यात 4.58 लाख टन से बढ़कर 5.23 लाख टन हो गया, जिसका मूल्य लगभग 997 मिलियन डॉलर रहा. इसी दौरान कुल चावल का निर्यात 2.09 लाख टन था, जिसमें बासमती चावल की मात्रा 1.81 लाख टन और गैर-बासमती चावल की 28,254 टन थी.
यह आंकड़े दिखाते हैं कि यूके में भारतीय चावल की मांग बढ़ रही है और नई व्यापार नीतियों के साथ भारत इस बाजार में अपनी पकड़ और मजबूत कर सकता है.