अब बाजार से खरीदने की जरूरत नहीं, घर पर ही बनाएं नीम खली – जानें आसान तरीका

नीम खली का उपयोग संतुलित मात्रा में करें. बहुत ज्यादा मात्रा में डालने से मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ सकता है. गर्मियों में इसे पानी में घोलकर डालना अधिक प्रभावी होता है. अगर कीट समस्या नहीं है, तो इसका बार-बार छिड़काव न करें.

नई दिल्ली | Published: 5 Nov, 2025 | 01:12 PM

Organic Fertilizer: खेती-बाड़ी में अगर प्राकृतिक और सस्ता उपाय चाहिए, तो नीम खली (Neem Khali) सबसे बेहतर विकल्प है. यह न केवल मिट्टी की सेहत सुधारती है, बल्कि पौधों को कीटों से भी बचाती है. अक्सर किसान इसे बाजार से खरीदते हैं, लेकिन अगर आप चाहें तो इसे घर पर ही बड़ी आसानी से तैयार कर सकते हैं. इसमें किसी रासायनिक प्रक्रिया की जरूरत नहीं होती और यह पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल होती है.

नीम खली क्या होती है?

नीम खली दरअसल नीम के बीजों का बचा हुआ भाग होता है, जब उनसे तेल निकाला जाता है. तेल निकालने के बाद जो ठोस हिस्सा बचता है, उसे नीम खली कहा जाता है. इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश जैसे जरूरी तत्व होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और पौधों को संतुलित पोषण देते हैं. इसके साथ ही इसमें प्राकृतिक कीटनाशक गुण भी होते हैं, जो पौधों को हानिकारक कीड़ों और फफूंद से बचाते हैं.

नीम खली तैयार करने की आसान विधि

नीम खली बनाना बहुत आसान है. इसके लिए किसी बड़े उपकरण की जरूरत नहीं होती.

नीम के बीज इकट्ठा करें: सबसे पहले पेड़ से गिरे हुए परिपक्व और स्वस्थ नीम के बीज चुनें. बीजों को साफ पानी से धो लें ताकि धूल या गंदगी निकल जाए.

तेल निकालें: इन बीजों को सुखाकर तेल निकालने की मशीन (oil expeller) में डालें. इससे तेल अलग हो जाएगा और जो भाग बचेगा, वही खली कहलाएगा. अगर मशीन उपलब्ध नहीं है, तो किसी स्थानीय तेल मिल में बीजों को पिसवाकर खली प्राप्त की जा सकती है.

खली को सुखाएं और सुरक्षित रखें: तेल निकालने के बाद बची खली को धूप में अच्छी तरह सुखाएं और फिर किसी सूखी जगह पर एयरटाइट बोरी या ड्रम में स्टोर करें. इसे नमी से बचाना जरूरी है, वरना इसमें फफूंदी लग सकती है.

नीम खली के प्रमुख उपयोग

मिट्टी को उपजाऊ बनाना
नीम खली को खेत की मिट्टी में मिलाने से उसकी उर्वरता और जल धारण क्षमता बढ़ती है. इससे पौधों की जड़ों को बेहतर पोषण मिलता है और फसल की बढ़ोतरी तेज होती है.

जैविक उर्वरक के रूप में
इसे सीधे मिट्टी में मिलाया जा सकता है या पानी में घोलकर पौधों की जड़ों में डाला जा सकता है. यह धीरे-धीरे पोषक तत्व छोड़ती है, जिससे पौधों को लंबे समय तक पोषण मिलता रहता है.

प्राकृतिक कीटनाशक
नीम खली में मौजूद एजाडिरैक्टिन (Azadirachtin) तत्व कीटों और फफूंद को खत्म करता है. इसे पानी में भिगोकर छानकर स्प्रे किया जा सकता है. इससे पत्तियों पर चिपके कीड़े, एफिड्स और व्हाइटफ्लाई जैसे कीट दूर हो जाते हैं.

रोग नियंत्रण में सहायक
जो किसान फसलों में बार-बार लगने वाले रोगों से परेशान रहते हैं, उनके लिए नीम खली वरदान है. यह मिट्टी में रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया और फफूंद को कम करती है.

नीम खली के फायदे

नीम खली इस्तेमाल करते समय सावधानियां

नीम खली का उपयोग संतुलित मात्रा में करें. बहुत ज्यादा मात्रा में डालने से मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ सकता है. गर्मियों में इसे पानी में घोलकर डालना अधिक प्रभावी होता है. अगर कीट समस्या नहीं है, तो इसका बार-बार छिड़काव न करें.

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