खेती में रसायनों का छिड़काव कैसे करें सही तरीके से? किसानों के लिए जरूरी जानकारी
किसी भी रसायन के इस्तेमाल से पहले यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि फसल को आखिर समस्या किस कारण से हो रही है. कीट, बीमारी और नदीनें—तीनों अलग-अलग रसायन मांगते हैं. यदि किसान सही समस्या पहचान लेता है, तभी वह सही रसायन चुन पाता है.
Spraying in farming: फसलों को स्वस्थ रखना हर किसान की पहली जरूरत होती है. चाहे कीटों का प्रकोप हो, पत्तियों पर रोग लग जाएं या खेत में नदीनों की भरमार हो जाए, हर स्थिति में रसायनों का छिड़काव एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है. लेकिन कई बार किसान जल्दबाजी या गलत जानकारी के कारण छिड़काव तो कर देते हैं, पर उसका पूरा फायदा नहीं मिल पाता. गलत रसायन, गलत मात्रा या गलत नोजल का प्रयोग फसल को नुकसान भी पहुंचा सकता है. इसलिए जरूरी है कि रसायनों का छिड़काव सही तरीके से किया जाए, ताकि मेहनत और पैसा दोनों सही जगह लगे और फसल को पूरा लाभ मिले.
फसल के रोग और कीटों की सही पहचान क्यों जरूरी है
किसी भी रसायन के इस्तेमाल से पहले यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि फसल को आखिर समस्या किस कारण से हो रही है. कीट, बीमारी और नदीनें—तीनों अलग-अलग रसायन मांगते हैं. यदि किसान सही समस्या पहचान लेता है, तभी वह सही रसायन चुन पाता है. कई बार किसान बिना पहचान के ही दवा खरीद लाते हैं, जिससे नतीजा कमजोर होता है. इसलिए बीमारी के लक्षण, कीट की उपस्थिति और नदीनों के प्रकार को पहचानकर ही निर्णय लेना चाहिए. यदि जरूरत पड़े तो कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह भी ली जा सकती है.
छिड़काव के लिए सही स्प्रे पंप और नोजल का चयन
रसायनों का असर न सिर्फ दवा पर, बल्कि स्प्रे पंप और नोजल के चयन पर भी निर्भर करता है. किसानों के पास हाथ से चलने वाले नैपसैक स्प्रेयर, बैटरी वाले पंप या बड़े खेतों में ट्रैक्टर-चलित स्प्रेयर जैसे विकल्प होते हैं.
नदीनों के नियंत्रण के लिए बुवाई के समय फ्लैट फैन या फ्लड जेट नोजल का प्रयोग सबसे उपयुक्त माना जाता है. वहीं खड़ी फसल में नदीनों को रोकने के लिए केवल फ्लैट फैन नोजल का उपयोग किया जाता है. यदि कीट या रोग नियंत्रण करना हो, तो कोन नोजल का उपयोग सबसे कारगर होता है, क्योंकि यह पत्तियों के दोनों तरफ दवा पहुंचाता है.
रसायनों में पानी की सही मात्रा क्यों आवश्यक है
दवा कितनी भी अच्छी हो, यदि पानी की मात्रा सही न हो तो उसका प्रभाव काफी कम हो जाता है. बुवाई के समय सामान्यतः 200 लीटर पानी प्रति एकड़ की जरूरत होती है, जबकि खड़ी फसल में 150 लीटर पानी पर्याप्त माना जाता है. फफूंदनाशकों के लिए भी यही मात्रा उपयुक्त रहती है.
बीमारियों की रोकथाम के दौरान 200 लीटर पानी प्रति एकड़ और कीट नियंत्रण के लिए 100 से 150 लीटर पानी काफी माना जाता है. कई किसान अनुमान से पानी भर देते हैं, लेकिन सबसे अच्छा तरीका है कि पहले पंप में पानी मापकर भरा जाए, फिर छिड़काव किए गए पूरे क्षेत्र को मापा जाए. इससे आने वाले समय में प्रति एकड़ के हिसाब से सटीक मात्रा पता चल जाती है.
सही समय और परिस्थितियों का ध्यान रखें
छिड़काव हमेशा सुबह या शाम के धीमे तापमान में करना चाहिए. तेज धूप में दवा जल्दी सूख जाती है, जिससे प्रभाव कम हो जाता है. इसके अलावा हवा की तेज गति, बारिश की संभावना या पत्तियों पर अधिक नमी होने पर भी दवा का असर घट सकता है.
खेत में घूमते समय नोजल और पंप को समान ऊंचाई पर रखना चाहिए, ताकि दवा हर पौधे पर बराबर पहुंचे.