पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं दोगुनी, धान की कटाई में देरी से बढ़ा प्रदूषण संकट

पिछले एक सप्ताह में पंजाब में पराली जलाने की 1,900 से ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई हैं. 15 सितंबर से 28 अक्टूबर तक ऐसे मामलों की संख्या 933 थी, जो अब दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है. इस तरह पंजाब ने इस सीजन में पराली जलाने के मामलों में उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ दिया है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 6 Nov, 2025 | 08:41 AM

पंजाब में इस साल धान की कटाई पिछली बार की तुलना में धीमी गति से चल रही है. अब तक राज्य में करीब 32.5 लाख हेक्टेयर में बोई गई धान की केवल 58 प्रतिशत फसल की कटाई ही पूरी हो पाई है. बाकी लगभग 42 प्रतिशत खेतों में फसल अभी भी खड़ी है. ऐसे में किसान अब तेजी से खेत खाली करने में जुट गए हैं ताकि समय पर गेहूं की बुवाई की जा सके. लेकिन इसी जल्दबाजी में कई किसान पराली जलाने का सहारा ले रहे हैं, जिससे राज्य में आग की घटनाओं में तेज इजाफा हुआ है.

पराली जलाने के मामले तेजी से बढ़े

पिछले एक सप्ताह में पंजाब में पराली जलाने की 1,900 से ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई हैं. 15 सितंबर से 28 अक्टूबर तक ऐसे मामलों की संख्या 933 थी, जो अब दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है. इस तरह पंजाब ने इस सीजन में पराली जलाने के मामलों में उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह रफ्तार ऐसे ही जारी रही तो दिल्ली-एनसीआर का वायु प्रदूषण स्तर और बिगड़ सकता है, जिससे सांस की बीमारियों और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ेंगी.

किसानों की मजबूरी और सरकार की चुनौती

किसानों का कहना है कि उन्हें गेहूं की बुवाई नवंबर के मध्य तक पूरी करनी होती है ताकि फसल को पर्याप्त समय मिल सके और गर्मी आने से पहले दाने पूरी तरह विकसित हो सकें. यही वजह है कि खेतों से पराली हटाने का सबसे आसान तरीका उन्हें जलाना ही नजर आता है. हालांकि सरकार बार-बार किसानों से अपील कर रही है कि वे पराली न जलाएं और मशीनों या वैकल्पिक तरीकों का उपयोग करें.

राज्य सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए पराली प्रबंधन मशीनों पर सब्सिडी देने और गांवों में जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया है. इसके बावजूद कई किसान कहते हैं कि मशीनें महंगी हैं और समय की कमी के कारण वे वैकल्पिक उपाय नहीं अपना पा रहे हैं.

अन्य राज्यों में धान की कटाई की स्थिति

देश के अन्य राज्यों में भी धान की कटाई का काम जारी है, लेकिन कई जगहों पर यह पंजाब की तुलना में आगे है. छत्तीसगढ़ में लगभग 70 प्रतिशत, हरियाणा में 60 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 36 प्रतिशत, जबकि मध्य प्रदेश में लगभग पूरी फसल की कटाई हो चुकी है. आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे राज्यों में अभी शुरुआती चरण का काम चल रहा है.

अन्य खरीफ फसलों की स्थिति

धान के अलावा, देश में दलहन और तिलहन फसलों की कटाई भी तेजी से हो रही है. मूंग, उड़द और बाजरा जैसी फसलों की लगभग 60 प्रतिशत कटाई पूरी हो चुकी है. मूंग की 91 प्रतिशत, जबकि बाजरे की करीब 87 प्रतिशत फसल किसानों ने काट ली है. तिलहन फसलों में मूंगफली और सोयाबीन की कटाई अभी चल रही है.

प्रदूषण पर असर और आगे की राह

मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पराली जलाने की घटनाएं ऐसे ही बढ़ती रहीं, तो नवंबर के दूसरे सप्ताह तक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति और गंभीर हो सकती है. केंद्र और राज्य सरकारें लगातार निगरानी में हैं और किसानों से अपील कर रही हैं कि वे पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय अपनाएं.

फिलहाल, पंजाब में पराली जलाने को रोकना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में सर्दियों का धुंधला आसमान और भी जहरीला हो सकता है.

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