सरकारी गोदामों में इस बार चावल की इतनी भरमार हो गई है कि अब उसे सहेजने के साथ-साथ निपटाना भी सरकार के लिए चुनौती बन गया है. जून 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत सरकार ने रिकॉर्डतोड़ 531.13 लाख टन चावल की खरीद की है. ये आंकड़ा पिछले साल के 525.48 लाख टन को भी पार कर गया है. यानी चावल खरीद का नया कीर्तिमान बन चुका है.
बफर स्टॉक में भराव, जरूरत से कहीं ज्यादा
सरकार हर साल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और अन्य योजनाओं के लिए लगभग 410 लाख टन चावल की जरूरत बताती है. लेकिन फिलहाल 1 जुलाई 2025 तक 135 लाख टन बफर स्टॉक के साथ, 321 लाख टन पुराना स्टॉक भी गोदामों में रखा है. इसके अलावा, बड़ी मात्रा में धान भी अभी कुटाई के इंतजार में पड़ा है.
इथेनॉल बनाने में इस्तेमाल
चावल की इतनी अधिक मात्रा देखकर सरकार अब इसे इथेनॉल डिस्टिलरियों को 22.50 रुपये प्रति किलो की रियायती दर पर बेच रही है, ताकि इसका सही इस्तेमाल हो सके. इस साल कुल मिलाकर 149.07 मिलियन टन धान के उत्पादन का अनुमान है, जिसमें अकेले खरीफ सीजन में 121.85 मिलियन टन धान आया.
किस राज्य ने कितना चावल दिया?
इन राज्यों ने तोड़े रिकॉर्ड
- तेलंगाना में 71.25 लाख टन चावल खरीदा गया, जो बीते साल से अधिक है
- आंध्र प्रदेश ने 24.63 लाख टन
- तमिलनाडु ने 24.37 लाख टन का आंकड़ा छुआ
- पश्चिम बंगाल ने 19.91 लाख टन
- ओडिशा ने 51.30 लाख टन
- बिहार ने 26.28 लाख टन ने भी खरीद में बढ़त दिखाई
- उत्तर प्रदेश की खरीद 38.66 लाख टन पर पहुंच गई
इन राज्यों में गिरावट
- पंजाब में 124 लाख टन का लक्ष्य था, लेकिन खरीद सिर्फ 116.13 लाख टन हो सकी.
- हरियाणा ने 40 लाख टन का लक्ष्य रखा था, मगर खरीद 36.17 लाख टन पर आकर रुक गई.
- छत्तीसगढ़ में भी गिरावट आई है, जहां चावल की खरीद 83 लाख टन से घटकर 70 लाख टन रह गई.