सिक्किम मंदारिन: संतरे की खास किस्म जो बदल रही है किसानों की किस्मत

सिक्किम मंदारिन की खेती के लिए करीब 800 से 1500 मीटर की ऊंचाई सही मानी जाती है. इसके साथ ही इसकी खेती के लिए 15 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान सही होता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 17 May, 2025 | 03:30 PM

नॉर्थ ईस्ट के सिक्किम की कई प्रमुख और लोकप्रिय फसलों में से एक है सिक्किम मंदारिन (Sikkim Mandarin). जिसे साइट्रस रेटिकुलटा भी कहा जाता है. यह संतरे की एक किस्म है जिसकी खेती सिक्किम के किसान बड़े पैमाने पर करते हैं. बता दें कि यह सिक्किस की एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है. जिसकी खेती यहां सदियों से होती आई है और यह सिक्किम का एक मूल फल है. तो चलिए जानते हैं कि कैसे होती है इस खास फल की खेती और कैसे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बनाने में यह अहम भूमिका निभाती है.

पारंपरिक प्रथा है सिक्किम मंदारिन की खेती

सिक्किम में फलों की खेती काफी लोकप्रिय है, जिसमें से सिक्किम मंदारिन की खेती वहां की पारंपरिक प्रथा है. इसकी खेती के लिए हल्की से मध्यम दोमट मिट्टी बेस्ट मानी जाती है, जिसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था हो. इसकी खेती के लिए सिंचाई बेहद ही जरूरी है. जिन इलाकों में बारिश कम होती है वहां ड्रिप सिंचाई की मदद से सिक्किम मंदारिन की फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी दिया जाता है.

सही तापमान और ऊंचाई पर करें खेती

सिक्किम मंदारिन की खेती के लिए करीब 800 से 1500 मीटर की ऊंचाई सही मानी जाती है. इसके साथ ही खेती के लिए 15 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान सही होता है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का pH मान 5.5 से 6.5 तक होना चाहिए. सिक्किम मंदारिन के बीजों को बोने से पहले खेत को अच्छे से 3 से 4 बार जोत कर समतल कर लें. इसकी बीज बुवाई से 1-2 महीने पहले गड्ढे खोद लें, इसके बाद गड्ढे में 15 से 20 किलो सड़ी गोबर की खाद, 1 किलो नीम की खली और थोड़ी मात्रा में ट्राइकोडर्मा मिलाएं.

सिक्किम की अर्थवयवस्था में अहम भूमिका

संतरे की यह किस्म, सिक्किम के किसानों के लिए आय का प्रमुख स्त्रोत है. साथ ही यह सिक्किम की जैविक कृषि नीति को भी बनाने में अहम भूमिका निभाती है. बता दें कि साल 2016 में सिक्किम जैविक खेती करने वाला पहला राज्य बन गया था. क्योंकि सिक्किम मंदारिन की खेती जैविक तरीके से होती है इसलिए इसकी मांग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बनी रहती है. एक जैविक उत्पाद होने के कारण बाजार में इसकी कीमत ऊंची होती है जो कि इसकी खेती करने वाले किसानों के लिए फायदेमंद है. बाजार में इसकी ज्यादा मांग के कारण इसका निर्यात नेपाल और भूटान जैसे देशों में भी होता है जिसके कारण सिक्किम की अर्थव्यव्सथा को भी फायदा पहुंचता है.

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