अब नहीं सताएंगे पशुओं को मक्खी-मच्छर, अपनाएं नीम-लहसुन वाला देसी तरीका

बरसात में पशुशालाओं में मक्खी-मच्छर बढ़ते हैं, जो पशुओं की सेहत के लिए नुकसानदायक हैं. नीम, लहसुन, तुलसी जैसे प्राकृतिक उपायों से इनसे बचा जा सकता है. नियमित सफाई और वेंटिलेशन भी बेहद जरूरी है.

Kisan India
नोएडा | Published: 13 Aug, 2025 | 06:30 PM

भारतीय कृषि व्यवस्था में पशुपालन एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. देश के करोड़ों किसान अपनी आजीविका के लिए पशुओं पर निर्भर हैं. ऐसे में यदि पशु बीमार पड़ें या असहज हों, तो इसका सीधा असर उनकी उत्पादकता और किसानों की आय पर पड़ता है. खासकर बरसात के मौसम में पशुशालाओं में मक्खी और मच्छरों का बढ़ना आम समस्या बन गई है. ये कीट न सिर्फ पशुओं को परेशान करते हैं, बल्कि कई प्रकार की बीमारिया भी फैलाते हैं. लेकिन कुछ देसी उपाय अपनाकर इनसे बचाव किया जा सकता है.

गंदगी और नमी से बचाव है पहली प्राथमिकता

मक्खी-मच्छरों के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है गंदगी और नमी. पशुशालाओं में अगर गोबर, मूत्र, बचा हुआ चारा या पानी रुका हुआ पड़ा रहे, तो यह कीटों के प्रजनन के लिए आदर्श जगह बन जाती है. बरसात के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है. इसलिए पशुपालकों को रोजाना पशुशालाओं की सफाई करनी चाहिए. गोबर और अन्य कचरे को समय पर हटा देना चाहिए. साथ ही मूत्र के बहाव के लिए उचित जल निकासी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे फर्श सूखा रहे और कीटों को पनपने का अवसर न मिले.

देसी उपाय: नीम और लहसुन का कमाल

मीडिय रिपोर्ट के अनुसार रासायनिक कीटनाशकों की जगह यदि प्राकृतिक उपाय अपनाए जाएं, तो न सिर्फ यह सस्ता होता है बल्कि पशुओं के लिए सुरक्षित भी रहता है. नीम का तेल, लहसुन का पेस्ट, तुलसी और गेंदा जैसे प्राकृतिक उत्पाद मक्खी-मच्छरों को भगाने में काफी असरदार साबित होते हैं. नीम के तेल को पानी में मिलाकर छिड़काव करने से मक्खी-मच्छरों की संख्या में कमी आती है. इसी तरह लहसुन को पीसकर पानी में उबालें और फिर छानकर इस घोल को पशुशाला में छिड़कें. इसकी तीव्र गंध से कीट भाग जाते हैं.

तुलसी और गेंदा भी हैं फायदेमंद पौधे

तुलसी और गेंदा के पौधों को पशुशाला के आसपास लगाने से भी काफी राहत मिलती है. तुलसी की गंध मच्छरों को आकर्षित नहीं करती और गेंदा में ऐसे तत्व होते हैं जो कीटों को दूर रखने में सहायक होते हैं. यदि पशुशाला के प्रवेश द्वार, खिड़कियों और खूटों के पास इन पौधों को लगाया जाए तो यह एक स्थायी समाधान बन सकता है.

वेंटिलेशन से रोकें संक्रमण की शुरुआत

मक्खी-मच्छरों के पनपने में नमी और बंद हवा का बड़ा योगदान होता है. यदि पशुशालाओं में वेंटिलेशन यानी हवा और रोशनी का समुचित प्रवाह न हो, तो अंदर नमी बनी रहती है और कीटों की संख्या तेजी से बढ़ती है. इसलिए पशुशाला के निर्माण के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उसमें खिड़किया, रोशनदान और हवा की आवाजाही के लिए पर्याप्त जगह हो। इससे वातावरण शुष्क रहेगा और संक्रमण का खतरा कम होगा.

लगातार निगरानी और सामूहिक प्रयास जरूरी

मक्खी और मच्छर से बचाव के लिए एक बार उपाय करना पर्याप्त नहीं है. यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसे हर दिन अपनाने की आवश्यकता है. गाव स्तर पर सामूहिक प्रयास किए जाएं, तो और बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. उदाहरण के लिए, अगर सभी पशुपालक अपने-अपने पशुशालाओं की नियमित सफाई करें और प्राकृतिक छिड़काव करें, तो पूरे क्षेत्र में कीटों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है.

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Published: 13 Aug, 2025 | 06:30 PM

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