हाई टेंपरेचर में बकरी-भेड़ों की सुरक्षा कैसे करें? विशेषज्ञ से जानिए कारगर टिप्स

देश के कई हिस्सों में तापमान 42 डिग्री के पार पहुंच चुका है, जिससे बकरी-भेड़ों की सेहत पर खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में पशुओं को सुरक्षित रखना चैंलेंजिग का काम है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 4 Jun, 2025 | 05:29 PM

देश के कई हिस्सों में इस समय 42 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान दर्ज हो रहा है. राजस्थान में तो 42 डिग्री के पार तापमान पहुंच चुका है. उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मैदानी इलाकों में भी तेज गर्मी का दौर जारी है. ऐसे मौसम में खासकर बकरी और भेड़ पालकों के लिए अपने पशुओं की देखभाल एक चुनौती बन जाती है. इस समय संक्रमण वाली बीमारियां भी अधिक होती हैं. इस कठिन समय में पशुपालकों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और कैसे अपने जानवरों को बचाना चाहिए. सीएलएफएमए (CLMFA- Compound Livestock Feed Manufacturers of India) ऑफ इंडिया की टेक्ननिकल कमेटी के सदस्य डॉक्टर अजीत रानडे ने ‘किसान इंडिया’ से विशेष बातचीत में इन पहलुओं के बारे में बताया है.

हाई टेंपरेचर में पशुओं में फैलता है संक्रमण

डॉक्टर अजीत रानडे बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हर साल गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. ऐसे में जानवरों की इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की शक्ति गर्मी की वजह से कम हो जाती है. खासकर बकरी, भेड़ और मुर्गियां इस तापमान को सहन नहीं कर पातीं. मुर्गियां 42 डिग्री से ऊपर के तापमान में अपनी बॉडी से गर्मी बाहर नहीं निकाल पातीं, जिससे उनकी मौत तक हो सकती है. इसी तरह बकरी-भेड़ों में भी संक्रमण तेजी से फैलता है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.

जानवरों के लिए ठंडा पानी जरूरी

पशुओं को ठंडा और साफ पानी नियमित रूप से देना चाहिए. इसके अलावा विटामिन सी, इलेक्ट्रोलाइट्स और ग्लूकोज जैसे पोषक तत्व भी उन्हें देना जरूरी है, ताकि उनकी ऊर्जा बनी रहे और वे गर्मी से जूझ सकें. इस मौसम में जानवरों को ज्यादा परेशान न करें और उन्हें शांति दें. दिन के 10 बजे से शाम 6 बजे तक ज्यादा तेज धूप से बचाना अत्यंत आवश्यक है. पशुपालकों को चाहिए कि वे जानवरों के लिए छाया का इंतजाम करें और उन्हें कम से कम तनाव दें.

बेहतर चारा का चयन करें

हरी घास जितना संभव हो उतना खिलाएं. इसके अलावा सिलेज जैसे किण्वित (फर्मेंटेड) फीड का इस्तेमाल भी फायदेमंद होता है. यह पशुओं के पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. मुर्गियों के लिए भी मिश्रित फीड जिसमें प्रोटीन और ऊर्जा संतुलित हो, देना चाहिए. वहीं,फर्मेंटेड फीड अंडे उत्पादन और मुर्गियों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है. क्योंकि इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स और लाभकारी बैक्टीरिया होते हैं.

रोगों से बचाव के लिए साफ-सफाई और टीकाकरण

बारिश के मौसम में खासकर खुरपका (FMD) जैसी बीमारियां अधिक फैलती हैं. केंद्र सरकार ने मुफ्त टीकाकरण अभियान भी चलाया है, जिससे इन रोगों के मामले काफी कम हुए हैं. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण और दवाओं की उपलब्धता में बाधा आती है. इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि वे समय-समय पर अपने पशुओं की सफाई रखें, टीकाकरण जरूर करवाएं और स्थानीय पशु चिकित्सा केंद्रों से संपर्क में रहें.

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Published: 4 Jun, 2025 | 05:28 PM

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