पोल्ट्री फार्मिंग करने वालों के मन में अक्सर ये सवाल उठता है कि बर्ड फ्लू ज्यादा खतरनाक है या स्वाइन फ्लू? नाम एक जैसे लगते हैं, दोनों में ‘फ्लू’ है, लेकिन असर, जोखिम और बचाव के उपाय एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. कई किसान बर्ड फ्लू को नजरअंदाज कर देते हैं तो कुछ स्वाइन फ्लू से डर जाते हैं, जबकि असल खतरा किससे है, ये समझना बेहद जरूरी है. पोल्ट्री क्षेत्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि असली खतरा किस बीमारी से है, किससे डरना चाहिए और छोटे स्तर पर फार्म को सुरक्षित रखने के लिए किन सावधानियों की जरूरत है.
सीएलएफएमए (CLMFA) Compound Livestock Feed Manufacturers of India) ऑफ इंडिया की टेक्ननिकल कमेटी के सदस्य डॉक्टर अजीत रानडे ने ‘किसान इंडिया’ से विशेष बातचीत में खुलकर इन बिंदुओं, वायरस को लेकर सलाह और बचाव के बारे में बताया.
H1N1 और H5N1 को लेकर फैली गलतफहमियां
डॉ. अजित रानडे के अनुसार, H1N1 यानी स्वाइन फ्लू, इंसानों को होने वाली बीमारी है. जबकि H5N1 जिसे बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लूएंजा कहा जाता है, यह मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है. पोल्ट्री फार्मिंग के संदर्भ में असली खतरा H5N1 से होता है. लेकिन किसान अक्सर इन दोनों को एक ही समझ लेते हैं, जिससे भ्रम और डर फैलता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किस बीमारी से कैसे बचाव किया जाए.
सफल पोल्ट्री फार्मिंग की चार बुनियादी जरूरतें
डॉ. रानडे के अनुसार, पोल्ट्री फार्मिंग को टिकाऊ और मुनाफे का व्यवसाय बनाने के लिए चार चीजें बेहद जरूरी हैं.
- अच्छी आनुवंशिकी (Genetics) – ऐसा पक्षी जो रोग प्रतिरोधक क्षमता रखे.
- संतुलित फीड (Feed) – पोषणयुक्त आहार जिससे विकास और उत्पादकता सही बनी रहे.
- प्रभावी प्रबंधन (Management) – तापमान, वेंटिलेशन, साफ-सफाई आदि का ध्यान.
- बीमारी की रोकथाम (Disease Control) – टीकाकरण और जैव सुरक्षा उपाय.
यदि ये चार स्तंभ मजबूत हैं तो पोल्ट्री फार्मिंग क्या,सूअर, भैंस, भेड़, बकरी कोई भी पशु पालन सफल हो सकता है.
LPAI वैक्सीन आई गेम चेंजर
भारत में कुछ प्रमुख फार्मा कंपनियों ने कम रोगजनक एवियन फ्लू (LPAI) के लिए वैक्सीन विकसित कर उसे लॉन्च किया है. यह वैक्सीन पोल्ट्री को कम घातक एवियन फ्लू से बचाती है. एवियन फ्लू के दो प्रकार होते हैं . उच्च रोगजनक (HPAI) जो ज्यादा खतरनाक होता है और कम रोगजनक (LPAI) जो कम खतरनाक होता है. LPAI वैक्सीन पक्षियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर वायरस के फैलाव को रोकती है और संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने में मदद करती है. यह वैक्सीन पोल्ट्री फार्मिंग के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो रही है.
बायो-सिक्योरिटी है पहला कवच
फार्म को सुरक्षित रखने का सबसे अहम उपाय जैव सुरक्षा (Biosecurity) है. बाहरी व्यक्ति या संक्रमित सामग्री का फार्म में प्रवेश रोकना, अलग-अलग आयु के पक्षियों को अलग रखना और नियमित सफाई करना इसके प्रमुख हिस्से हैं. डॉ. रानडे कहते हैं कि आकाश के नीचे सब कुछ G और E का मेल है. यानी जीनोटाइप (Genotype) और पर्यावरण (Environment). जब तक पर्यावरण अनुकूल न हो, आनुवंशिकी भी पूरी क्षमता नहीं दे पाती.