Camel Milk : कभी रेगिस्तान में ही सीमित रहने वाला ऊंटनी का दूध अब धीरे-धीरे शहरों तक पहुंचने लगा है. बीकानेर के नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन कैमल (NRCC) की ताज़ा रिपोर्ट ने इस दूध को भविष्य का दूध यानी Future Milk बताया है. रिसर्च के अनुसार, ऊंटनी का दूध कई गंभीर बीमारियों में राहत देता है और इसे एक सुपर फूड के रूप में देखा जा रहा है. खास बात यह है कि यह अब सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देश के कई हिस्सों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.
पोषक तत्वों से भरपूर है ऊंटनी का दूध
NRCC की रिसर्च बताती है कि ऊंटनी के दूध में न सिर्फ पोषण भरपूर होता है, बल्कि इसमें कई ऐसे तत्व हैं जो शरीर के लिए बेहद उपयोगी हैं. इस दूध में फैट की मात्रा 3.5 से 5 प्रतिशत के बीच होती है, जो गाय और भैंस के दूध की तुलना में काफी कम है. साथ ही, इसमें नेचुरल इंसुलिन की मात्रा लगभग 40 µIU/ml तक पाई गई है, जो इसे डायबिटीज मरीजों के लिए खास बनाती है. इसमें मौजूद प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं.
बीमारियों में असरदार
NRCC की रिपोर्ट के मुताबिक, ऊंटनी का दूध टाइप-1 डायबिटीज, ऑटिज्म और एलर्जी जैसी समस्याओं में उपयोगी साबित हुआ है. विशेषज्ञों के अनुसार, इसमें मौजूद इंसुलिन जैसी प्रोटीन शरीर में शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है. इसके अलावा, ऊंटनी का दूध उन बच्चों के लिए भी फायदेमंद है जिन्हें गाय के दूध से एलर्जी होती है, क्योंकि इसकी प्रोटीन संरचना इंसानी दूध से काफी मिलती-जुलती है. कई केस स्टडीज़ में यह पाया गया कि नियमित रूप से ऊंटनी का दूध पीने वाले बच्चों में ऑटिज्म के लक्षणों में सुधार देखा गया है.
अब बन रहे हैं डेयरी प्रोडक्ट्स
बीकानेर के ऊंट रिसर्च सेंटर द्वारा ऊंटनी के दूध से कई स्वादिष्ट डेयरी उत्पाद भी बनाए जा रहे हैं. यहां से फ्लेवर्ड मिल्क, पनीर, कुल्फी, मावा, गुलाब जामुन, रसगुल्ला, पेड़ा और दूध पाउडर जैसे प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. इन प्रोडक्ट्स की मांग देशभर में लगातार बढ़ रही है. खासकर हेल्थ-कांशस लोग अब ऊंटनी के दूध से बने उत्पादों को अपनाने लगे हैं. NRCC का मानना है कि आने वाले वर्षों में ऊंटनी के दूध से बने डेयरी प्रोडक्ट्स एक नए उद्योग का रूप ले सकते हैं.
देशभर में बढ़ी सप्लाई
राजस्थान के पाली जिले से ऊंटनी के दूध की सप्लाई अब देश के कई राज्यों में शुरू हो चुकी है. इसके लिए विशेष ट्रेनों और कोल्ड चेन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है ताकि दूध की गुणवत्ता बनी रहे. खासतौर पर ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों और डायबिटीज के मरीजों के लिए इसकी सप्लाई को प्राथमिकता दी जा रही है. सरकार और NRCC मिलकर अब ऊंटनी के दूध को आम लोगों की डाइट में शामिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं.
डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी
हालांकि NRCC की रिसर्च ऊंटनी के दूध के कई फायदे बताती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसे डॉक्टर की सलाह के बाद ही विशेष बीमारियों में दवा के रूप में लिया जाना चाहिए. बिना पाश्चुरीकृत दूध पीने से संक्रमण का खतरा होता है, इसलिए हमेशा प्रोसेस्ड दूध का ही उपयोग करना चाहिए. NRCC का कहना है कि ऊंटनी का दूध हर व्यक्ति के लिए सेहत का नया विकल्प बन सकता है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए.