Murrah Buffalo : अगर आप डेयरी बिजनेस शुरू करने का सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए किसी सुनहरे मौके से कम नहीं है. हरियाणा और पंजाब की “मुर्रा भैंस” आज किसानों के लिए आय का सबसे भरोसेमंद साधन बन चुकी है. यह भैंस दूध देने की ऐसी मशीन है जो हर दिन 20 से 30 लीटर तक दूध देती है. इसकी कद-काठी, ताकत और उत्पादन देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. मुर्रा को देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी दूध की क्वीन कहा जाता है.
अब दुनिया तक पहुंची मुर्रा नस्ल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुर्रा भैंस की असली पहचान हरियाणा और पंजाब से जुड़ी है. यह नस्ल मूल रूप से भिवानी, हिसार, रोहतक, जिंद, झज्जर और फतेहाबाद जैसे जिलों में पाई जाती है. यही नहीं, दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में भी इसका पालन बड़े पैमाने पर किया जाता है. आज मुर्रा की लोकप्रियता सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही. इटली, बुल्गारिया और मिस्र जैसे देशों में भी इस नस्ल का इस्तेमाल डेयरी उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. इसकी क्षमता और अनुकूलता ने इसे वर्ल्ड बफेलो ब्रीड की श्रेणी में पहुंचा दिया है.
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कीमत सुनकर चौंक जाएंगे
मुर्रा भैंस की कीमत 50 हजार रुपये से शुरू होकर 2 लाख रुपये तक जाती है. लेकिन कीमत सुनकर घबराइए नहीं, क्योंकि इसकी दूध देने की क्षमता आपको हैरान कर देगी. अगर इसे अच्छा चारा और देखभाल दी जाए तो यह रोजाना 20 से 30 लीटर तक दूध देती है. इसके दूध में फैट की मात्रा भी ज्यादा होती है, जिससे डेयरी मालिकों को ज्यादा मुनाफा मिलता है. यही वजह है कि किसान अब देसी नस्लों की बजाय मुर्रा भैंस को प्राथमिकता दे रहे हैं.
दूध की क्वालिटी और मात्रा दोनों में नंबर वन
मुर्रा भैंस का दूध सिर्फ मात्रा में ज्यादा नहीं होता, बल्कि गुणवत्ता में भी बेहतरीन होता है. इसका दूध गाढ़ा, स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें फैट की मात्रा 7 से 8 प्रतिशत तक होती है, जो गाय के दूध से कहीं अधिक है. इस गाढ़े दूध से दही, घी, मक्खन और पनीर जैसी डेयरी चीजें बहुत अच्छी बनती हैं. डेयरी व्यवसायी बताते हैं कि मुर्रा के दूध से बने उत्पाद बाजार में ज्यादा दाम पर बिकते हैं. यही कारण है कि मुर्रा को डेयरी सेक्टर की रीढ़ कहा जाता है.
पहचान ऐसे करें असली मुर्रा भैंस की
मुर्रा भैंस को पहचानना मुश्किल नहीं है. इसकी खास शारीरिक बनावट इसे बाकी नस्लों से अलग करती है.
- इसका रंग गहरा काला होता है.
- सींग छोटे और जलेबी की तरह घुमावदार होते हैं.
- सिर छोटा, गर्दन मजबूत और पूंछ लंबी होती है.
- पिछले हिस्से का विकास अच्छा होता है, जिससे दूध ग्रंथि मजबूत रहती है.
- इसके शरीर पर हल्के सुनहरे बाल दिखाई देते हैं.
इन विशेषताओं के कारण मुर्रा को दुनिया की सबसे आकर्षक और उत्पादक भैंस की नस्ल माना जाता है.
किसानों की पहली पसंद
मुर्रा भैंस को पालना बेहद आसान है. यह भारतीय मौसम के अनुसार खुद को जल्दी ढाल लेती है. इसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है, जिससे बीमारी का खतरा कम रहता है. सामान्य देखभाल, पौष्टिक चारा और नियमित सफाई से यह लंबे समय तक दूध देती रहती है. यही वजह है कि किसान अब देसी नस्लों की बजाय मुर्रा को चुन रहे हैं. एक भैंस से हर साल 2500 से 3000 लीटर दूध आसानी से मिल जाता है, जिससे किसान लाखों रुपये तक कमा सकते हैं.
डेयरी उद्योग को नया बल
भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देश अब भारतीय मुर्रा नस्ल को अपनाने लगे हैं. विदेशी किसानों का मानना है कि मुर्रा नस्ल की भैंसें न केवल ज्यादा दूध देती हैं, बल्कि लंबे समय तक स्वस्थ रहती हैं. डेयरी इंडस्ट्री में मुर्रा भैंस की बढ़ती मांग भारत के पशुपालन क्षेत्र के लिए गर्व की बात है. भारत सरकार भी अब नस्ल सुधार कार्यक्रमों में मुर्रा को प्राथमिकता दे रही है, ताकि ग्रामीण युवाओं को डेयरी व्यवसाय से जोड़ा जा सके.