Soil Test: मिट्टी परीक्षण कैसे करें, जानें आसान तरीका जो बदल देगा आपकी फसल की पैदावार!

Mitti Parikshan Kaise Kare: खेती में बेहतर पैदावार और लागत कम करने के लिए मिट्टी परीक्षण (Soil Test) बेहद जरूरी है. यह जांच किसानों को बताती है कि मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, पीएच और सूक्ष्म पोषक तत्व कितने हैं. किसान इसे घर पर DIY तरीके से या सरकारी व प्राइवेट लैब में करवा सकते हैं. सही नमूना लेने और रिपोर्ट पढ़ने से खाद और उर्वरक का सही उपयोग संभव होता है.

नोएडा | Published: 25 Dec, 2025 | 01:00 PM

Soil Test Guide: खेती में अक्सर किसान अच्छी पैदावार के लिए बीज, खाद और दवाइयों पर हजारों रुपये खर्च कर देते हैं, लेकिन इसके बावजूद परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं मिलते. इसकी सबसे बड़ी वजह होती है — मिट्टी की सही जानकारी न होना. हर खेत की मिट्टी अलग होती है और उसकी जरूरतें भी अलग-अलग होती हैं. ऐसे में बिना जांच के खाद डालना वैसा ही है, जैसे बिना बीमारी जाने दवा खाना.

इसी समस्या का समाधान है मिट्टी परीक्षण (Soil Test). मिट्टी परीक्षण के जरिए किसान यह जान सकते हैं कि उनकी जमीन में कौन-सा पोषक तत्व कम है, कौन-सा ज्यादा और किस फसल के लिए मिट्टी सबसे उपयुक्त है.

मिट्टी परीक्षण क्या होता है?

मिट्टी परीक्षण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें खेत से लिए गए मिट्टी के नमूने की लैब में जांच की जाती है. इस जांच से मिट्टी में मौजूद मुख्य और सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ-साथ पीएच वैल्यू का पता चलता है. आसान भाषा में कहें तो मिट्टी परीक्षण जमीन का हेल्थ चेकअप है.

इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, ऑर्गेनिक कार्बन, जिंक, आयरन जैसे तत्व किस मात्रा में मौजूद हैं और कौन-सी चीज की कमी है.

मिट्टी परीक्षण कैसे करें

मिट्टी परीक्षण क्यों जरूरी है?

आज के समय में खेती केवल अनुभव के भरोसे नहीं, बल्कि जानकारी और विज्ञान के आधार पर करनी पड़ती है. मिट्टी परीक्षण इसके लिए बेहद जरूरी है क्योंकि—

यानी मिट्टी परीक्षण किसान की आमदनी बढ़ाने का सीधा रास्ता है.

मिट्टी परीक्षण कराने का सही समय

कई किसान फसल खड़ी होने के दौरान मिट्टी जांच कराने की गलती कर देते हैं, जिससे रिपोर्ट सही नहीं आती. मिट्टी परीक्षण कराने का सबसे अच्छा समय वह होता है, जब खेत खाली हो.

आमतौर पर मिट्टी परीक्षण—

  1. फसल बोने से 1–2 महीने पहले
  2. रबी और खरीफ सीजन से पहले
  3. हर 2 से 3 साल में एक बार

करवाना सबसे बेहतर माना जाता है.

घर पर मिट्टी परीक्षण कैसे करें? (DIY तरीका)

अगर किसान तुरंत अपनी मिट्टी के बारे में सामान्य जानकारी लेना चाहते हैं, तो कुछ आसान जांच घर पर भी कर सकते हैं. हालांकि यह तरीका पूरी वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं देता, लेकिन शुरुआती समझ जरूर देता है.

मिट्टी का pH घर पर कैसे जांचें?

इसके लिए बहुत ज्यादा साधनों की जरूरत नहीं होती. मिट्टी, सिरका, बेकिंग सोडा और थोड़ा पानी ही काफी है. अगर मिट्टी में सिरका डालने पर झाग बनने लगे, तो समझिए मिट्टी क्षारीय है. वहीं अगर मिट्टी में पानी मिलाकर बेकिंग सोडा डालने पर झाग बने, तो मिट्टी अम्लीय मानी जाती है. यह तरीका केवल अनुमान के लिए है, सटीक परिणाम के लिए लैब टेस्ट जरूरी है.

मिट्टी परीक्षण से होने वाले फायदे

मिट्टी की बनावट कैसे पहचानें?

मिट्टी की बनावट भी फसल के लिए बहुत मायने रखती है. इसके लिए मिट्टी को थोड़ा गीला करके हथेली में दबाया जाता है. अगर मिट्टी बहुत ज्यादा चिपकती है, तो वह चिकनी मिट्टी होती है. अगर हाथ में टिकती नहीं और बिखर जाती है, तो रेतीली मिट्टी होती है. जो मिट्टी न ज्यादा चिपके और न बिखरे, वह दोमट मिट्टी होती है. दोमट मिट्टी को खेती के लिए सबसे अच्छी माना जाता है.

सरकारी लैब से मिट्टी परीक्षण कैसे करवाएं?

सरकार किसानों को कम खर्च में या कई जगह मुफ्त मिट्टी परीक्षण की सुविधा देती है. इसके लिए सही तरीके से मिट्टी का नमूना लेना बहुत जरूरी है.

मिट्टी का नमूना लेने का सही तरीका

खेत के एक ही कोने से मिट्टी लेना गलत होता है. बेहतर परिणाम के लिए—

  1. खेत के 5–6 अलग-अलग हिस्सों से मिट्टी लें
  2. लगभग 15–20 सेंटीमीटर गहराई से मिट्टी निकालें
  3. सभी नमूनों को मिलाकर करीब 500 ग्राम मिट्टी तैयार करें
  4. मिट्टी को छाया में सुखाएं और कंकड़-पत्थर हटा दें

इसके बाद इस मिट्टी को नजदीकी कृषि कार्यालय या मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में जमा करें.

मिट्टी परीक्षण कराने का सही समय

मिट्टी परीक्षण के लिए सरकारी लैब कहां मिलती हैं?

भारत में लगभग हर जिले में मिट्टी परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है. किसान निम्न स्थानों पर संपर्क कर सकते हैं—

कई राज्यों में मोबाइल सॉयल टेस्ट वैन भी चलाई जाती हैं, जो गांव-गांव जाकर जांच करती हैं.

प्राइवेट मिट्टी परीक्षण लैब का विकल्प

जो किसान जल्दी रिपोर्ट चाहते हैं या ज्यादा डिटेल जानकारी चाहते हैं, वे प्राइवेट लैब का सहारा ले सकते हैं. इन लैब की रिपोर्ट आमतौर पर 3–5 दिनों में मिल जाती है. हालांकि प्राइवेट लैब का खर्च ₹300 से ₹1500 तक हो सकता है, लेकिन इसके साथ फसल-विशेष सलाह भी मिलती है. अक्सर किसान रिपोर्ट मिलने के बाद उसे समझ नहीं पाते और वही गलती दोहराते रहते हैं. आइए रिपोर्ट के मुख्य हिस्सों को आसान भाषा में समझते हैं.

pH वैल्यू क्या बताती है?

  1. मिट्टी की pH वैल्यू 6 से 7.5 के बीच हो तो उसे आदर्श माना जाता है.
  2. अगर pH कम है, तो मिट्टी अम्लीय होती है और ज्यादा होने पर क्षारीय.

अम्लीय मिट्टी में चूना डालने की सलाह दी जाती है, जबकि क्षारीय मिट्टी में जिप्सम उपयोगी होता है.

पोषक तत्वों की भूमिका

रिपोर्ट के आधार पर ही खाद डालना सबसे सही तरीका है.

घर पर मिट्टी परीक्षण कैसे करें

मिट्टी परीक्षण के आधार पर खाद का सही उपयोग

जब किसान बिना जांच के खाद डालते हैं, तो कभी ज्यादा तो कभी कम हो जाती है. मिट्टी परीक्षण से यह समस्या खत्म हो जाती है.

उदाहरण के तौर पर—

का संतुलित उपयोग किया जाता है.

मिट्टी परीक्षण से होने वाले फायदे

मिट्टी परीक्षण का सीधा असर किसान की जेब और जमीन दोनों पर पड़ता है. इससे—

मिट्टी परीक्षण को अगर किसान बोझ नहीं, बल्कि निवेश मान लें, तो खेती का पूरा गणित बदल सकता है. सही समय पर मिट्टी की जांच, सही फसल का चयन और संतुलित खाद का उपयोग यही सफल खेती का मंत्र है.

आज ही मिट्टी परीक्षण बुक करें

अगर आप भी अपनी फसल से बेहतर पैदावार चाहते हैं, तो आज ही नजदीकी कृषि कार्यालय या Soil Health Card योजना के तहत मिट्टी परीक्षण बुक करें. याद रखें—स्वस्थ मिट्टी ही समृद्ध किसान की पहचान है.

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