स्वास्थ्य के लिए बेहतर खाद्य उत्पादों की व्यवस्था करने के साथ ही मिट्टी और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती मिशन की शुरूआत की गई है. इस मिशन को पूरा करने में देशभर के कृषि विज्ञान केंद्र जी-जान से जुटे हुए हैं. ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खाद्य उत्पादों की बाजार में बढ़ती मांग और अच्छी कीमत को देखते हुए युवा इस ओर आकर्षित हो रहे हैं. इसलिए गाजियाबाद कृषि विज्ञान केंद्र ने युवाओं को ट्रेनिंग देने की शुरुआत की है. पहले चरण में 26 युवाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है और खेती की बारीकियां सिखाई जा रही हैं. जल्द ही ट्रेनिंग के दूसरे चरण में और युवाओं को शामिल किया जाएगा.
युवाओं को खेती पद्धतियां, उन्नत बीज, मिट्टी और तने की पहचान बता रहे
गाजियाबाद कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉक्टर प्रमोद कुमार ने ‘किसान इंडिया’ से बातचीत में कहा कि बताया कि कृषि विज्ञान केंद्रों के जरिए किसानों को खेती की नई तकनीकों के साथ पारंपरिक पद्धतियों के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है. इस दिशा में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. खेती में युवाओं को जोड़ने के लिए उन्होंने युवा ट्रेनिंग कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसके तहत कृषि विज्ञान के छात्र और युवा किसानों को खेती की पद्धतियां, उन्नत बीज, मिट्टी की सही पहचान और कम लागत में अधिक उत्पादन हासिल करने की जानकारी दी जा रही है.
‘करके सीखो’ फॉर्मूले पर ट्रेनिंग दी जा रही
डॉक्टर प्रमोद कुमार ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र गाजियाबाद की ओर से एक नई पहल Learning by Doing Theory शुरू की गई है. इसके तहत युवा तथा छात्रों को कृषि से पलायन को रोकने में मदद मिल रही है और कृषि उद्यमिता के विकास के लिए भविष्य के लिए बेहतर कदम बताया है. उन्होंने कहा कि करते हुए सीखने की प्रक्रिया ज्यादा कारगर होती है और इसी फॉर्मूले को अपनाकर वह युवा छात्रों और किसानों को जागरूक कर रहे हैं.
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प्राकृतिक और जैविक खेती में युवाओं की दिलचस्पी ज्यादा
उन्होंने कहा कि युवाओं में प्राकृतिक खेती और जैविक खेती को लेकर दिलचस्पी ज्यादा देखी जा रही है. इसकी वजह जैविक और प्राकृतिक तरीके से उगाए गए उत्पादों का बाजार में अच्छी कीमत मिलना और डिमांड का बढ़ना है. उन्होंने कहा कि युवाओं के कौशल विकास प्रशिक्षण के तहत प्राकृतिक खेती, नर्सरी प्रबंधन और आलू की किस्म का रोपण सिखाया जा रहा है.

लहसुन बीज की छंटाई के बाद रोपाई करते युवा.
26 युवाओं को ट्रेनिंग दी गई, दूसरा चरण जल्द शुरू होगा
डॉक्टर प्रमोद कुमार कहते हैं कि बायो फोर्टीफाइड सब्जियों और फसलों की पहचान भी उनकी ट्रेनिंग का हिस्सा है. उनके यहां प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर ज्यादा फोकस रहता है क्योंकि इससे युवा जल्दी समझते हैं और कृषि के प्रति आकर्षित होते हैं. ट्रेनिंग के पहले चरण में कृषि उद्यमिता का विकास के तहत 26 युवाओं तथा छात्रों को ट्रेनिंग दी गई है. उन्होंने कहा कि इस तरह के अगले चरण में भी युवाओं को नई कृषि पद्धतियों और उपकरणों के इस्तेमाल और उनके फायदों के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी.