Soil Health Card : किसान भले ही दिन-रात खेत में मेहनत कर लें, लेकिन अगर मिट्टी कमजोर है तो मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता. फसल कम होती है, खर्चा बढ़ जाता है और जमीन की ताकत धीरे-धीरे घटने लगती है. खेती की यही बड़ी समस्या दूर करने के लिए सरकार ने एक खास योजना चलाई है-मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना. यह कार्ड बिल्कुल हमारे हेल्थ रिपोर्ट जैसा है, बस फर्क इतना है कि यह इंसान की नहीं, बल्कि खेत की सेहत बताता है.
मिट्टी की सेहत क्यों है जरूरी?
खेती पूरी तरह मिट्टी , पानी और प्राकृतिक संसाधनों पर टिकी होती है. लेकिन पिछले कई सालों में किसान लगातार ज्यादा खाद-उर्वरक डालते रहे हैं. नतीजा यह हुआ कि खेतों में पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ गया है. जैसे कि खाद का NPK रेशियो (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) काफी गड़बड़ हो चुका है. जहां सही अनुपात 4:2:1 होना चाहिए, वहां यह 8:2:3 तक पहुंच गया है. इससे फसल को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते और भूमि की उत्पादकता धीरे-धीरे गिरने लगती है. कई जगह किसानों को पता ही नहीं होता कि उनकी मिट्टी में कौन-सी कमी है, इसलिए उर्वरक गलत ढंग से डाले जाते हैं.
क्या है मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना?
भारत सरकार ने फरवरी 2015 में किसानों की इस समस्या को समझते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की. इस योजना में-
- खेत से मिट्टी का नमूना लिया जाता है
- सरकारी प्रयोगशाला में उसकी जांच की जाती है
- मिट्टी के 12 बड़े पैरामीटर की पूरी रिपोर्ट बनाई जाती है
- रिपोर्ट कार्ड किसान को दिया जाता है
इन 12 पैरामीटर में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, पीएच वैल्यू, कार्बनिक कार्बन, जिंक, आयरन, मैंगनीज, कॉपर आदि शामिल हैं. सरकार ने पूरे देश में लगभग 2.53 करोड़ मिट्टी के सैंपल जांचने का लक्ष्य रखा है ताकि 14 करोड़ किसानों को उनके खेत का हेल्थ कार्ड मिल सके.
किसानों को होगा क्या फायदा?
इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान अब अंदाज़े से खाद नहीं डालेंगे. बल्कि रिपोर्ट देखकर तय कर सकेंगे कि-
- उनकी मिट्टी में क्या कमी है.
- कौन-सी खाद कितनी डालनी चाहिए.
- कौन-सी फसल मिट्टी में ज्यादा सफल होगी.
- कहां किस तरह की खेती ज्यादा फायदेमंद है.
इससे खेती में दो बड़े लाभ मिलते हैं:-
- उत्पादन बढ़ता है- क्योंकि फसल को सही पोषक तत्व मिलते हैं.
- लागत घटती है- क्योंकि किसान बेवजह अधिक खाद नहीं डालते.
यह योजना जमीन की सेहत को लंबे समय तक बेहतर बनाती है और किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने में मदद देती है.
आवेदन और प्रक्रिया कैसे होती है?
मिट्टी का नमूना गांव स्तर पर मौजूद टीम या कृषि विभाग द्वारा लिया जाता है. फिर-
- नमूना लैब में जांचा जाता है
- रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड होती है
- अंतिम मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसान को दिया जाता है
किसी भी जानकारी के लिए किसान soilhealth.dac.gov.in वेबसाइट देख सकते हैं या अपने नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के लिए जरूरी दस्तावेज और प्रक्रिया
अगर आप अपने खेत की मिट्टी की सही जांच (Proper Soil Testing) करवाना चाहते हैं और मृदा स्वास्थ्य कार्ड पाना चाहते हैं, तो आपको कुछ सरल दस्तावेज जमा करने होते हैं. सबसे जरूरी है आधार कार्ड, इसके अलावा वोटर आईडी या कोई भी सरकारी पहचान पत्र चल जाता है. जमीन से जुड़े दस्तावेज जैसे जमाबंदी, खसरा-खतौनी या जमीन के स्वामित्व का प्रमाण भी देना होता है. बैंक पासबुक या चेक बुक की कॉपी भी मांगी जाती है ताकि आपकी जानकारी सही तरीके से दर्ज हो सके. कुछ राज्यों में मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो भी ली जाती है.